Triguna: हर व्यक्ति में होते हैं प्रकृति के ये 3 गुण जानें, क्या है इनका अर्थ ?

Edited By Prachi Sharma,Updated: 24 Dec, 2024 12:14 PM

triguna

जब पुरुष (आत्मा) प्रकृति के साथ सत्त्व, रजस और तम इन तीन गुणों के रूप में संघटित हो जाता है, तब उस का इस सृष्टि में जन्म होता है। प्रकाश, आनंद और ज्ञान, ये तीनों सत्त्व गुण के लक्षण हैं

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

सत्त्वं रजस तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः || निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनां अव्ययम् || भगवद गीता, अध्याय १४, पद्य ५||

Triguna: जब पुरुष (आत्मा) प्रकृति के साथ सत्त्व, रजस और तम इन तीन गुणों के रूप में संघटित हो जाता है, तब उस का इस सृष्टि में जन्म होता है। प्रकाश, आनंद और ज्ञान, ये तीनों सत्त्व गुण के लक्षण हैं। इच्छाएं, आसक्ति और परिणामी कर्म राजस गुण के लक्षण हैं और तम गुण के लक्षण अंधकार, अज्ञान और निद्रा हैं। मनुष्य में प्रति-क्षण ये तीनों ही गुण उपस्थित होते हैं और इन गुणों का एक दूसरे के ऊपर प्राबल्य उस मनुष्य की इच्छा एवं आत्मिक उन्नति के स्तर पर आश्रित होता है।

एक सामान्य मनुष्य में तम गुण का प्राबल्य होता है, तम गुण का प्राबल्य पशुओं एवं सभी निम्न योनि के प्राणियों में भी देखा जाता है। जब कोई मनुष्य अपना शरीर तम गुण के प्राबल्य में छोड़ता है तो उसका जन्म पशु योनि में होता है और वह नर्क में प्रवेश करता है ऐसा भगवद गीता में लिखा हुआ है। इसी कारण से तम गुण को कम करके सत्त्व और रजस गुणों को बढ़ाना अत्यन्त आवश्यक होता है।

PunjabKesari Triguna

मनुष्य में जब रजस गुण का प्राबल्य होता है तो वह उत्साह से अपनी भौतिक इच्छाओं तथा आसक्तियों को पूरा करने के लिए कर्म करने हेतु प्रवृत्त होता है। हर क्रिया की एक सम्बल और विपरीत प्रतिक्रिया होती है, हर भोग से रोग जुड़ा होता है। रजस गुण के प्रभाव तले मनुष्य भौतिक इंद्रियों के सुखों में फंसकर रह जाता है और उनसे जुड़े दुखों का सामना करता है। भौतिक इच्छाओं का कोई अंत नहीं है, मनुष्य चाहे भौतिक जगत में कुछ भी पा ले, वह कभी संतुष्ट नहीं होता और हर पल और अधिक पाने की अभिलाषा रखता है। इसी कारण मनुष्य का निम्न योनियों में जन्म और मृत्यु का क्रम शुरू हो जाता है, हर जन्म पिछले जन्म से अधिक निम्न और पीड़ादायी होता है। अतः राजस गुण को कम करके सत्त्व गुण को बढ़ाना आवश्यक है।

सत्त्व गुण के प्राबल्य से मनुष्य ध्यान और साधना करना शुरू करता है। सेवा और दान द्वारा स्वयं की शुद्धि करने लगता है, जिसके फलस्वरूप उसे ज्ञान और परमानंद का अनुभव होता है। जब कोई मनुष्य सत्त्व गुण के प्राबल्य में शरीर छोड़ता है तो उसका जन्म सुक्ष्म लोकों में देव और ऋषियों की योनी में होता है। ये तीनों ही गुण भौतिक सृष्टि से सम्बंधित हैं और व्यक्ति को भौतिक सृष्टि से बांधे रखते हैं। 

PunjabKesari Triguna

इस जन्म मृत्यु के दुखदायी चक्र से मुक्ति तथा परब्रह्म से मिलन का एकमात्र मार्ग है। इन तीनों गुणों से कुछ इस प्रकार ऊपर उठना कि चाहे कुछ हो या न हो - फिर चाहे वह ‘कुछ’ अंधकार हो या अज्ञान, आसक्ति हो या फिर आनंद और प्रकाश- उसका जीव पर प्रभाव पड़ना बंद हो जाए। इसके उपरान्त मानव 'गुण अतीत' हो जाता है और यह स्थिति केवल गुरु से ज्ञान (शक्ति) मिलने पर ही संभव है। इस स्थिति तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को सेवा एवं दान करना अनिवार्य है, ताकि उसके कई जन्मों में एकत्रित नकारात्मक कर्मों की शुद्धि हो सके, तभी ज्ञान का प्रवाह संभव है।

PunjabKesari Triguna

अश्विनी गुरुजी 
 

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!