शिवपुराण में बताए गए हैं शिवलिंग से जुड़े गहरे रहस्य, आप भी जानें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 May, 2024 07:33 AM

type of shivalinga

शिवलिंग के मुख्यतः तीन भाग होते है, पहला भाग जो नीचे चारों तरफ से भूमिगत रहता है। मध्य भाग में आठ तरफ से एक समान बैठक बनी होती है। अंत में इसका शीर्ष भाग, जो की अंडाकार होता है तथा जिसकी

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Configuration of Shivalinga शिवलिंग का विन्यास :- शिवलिंग के मुख्यतः तीन भाग होते है, पहला भाग जो नीचे चारों तरफ से भूमिगत रहता है। मध्य भाग में आठ तरफ से एक समान बैठक बनी होती है। अंत में इसका शीर्ष भाग, जो की अंडाकार होता है तथा जिसकी पूजा की जाती है।इस शिवलिंग की ऊंचाई सम्पूर्ण मंडल या परिधि की एक तिहाई होती है। ये तीन भाग ब्रह्मा नीचे, विष्णु बीच में तथा शिव शीर्ष में होने का प्रतीक है। शिव के माथे पर तीन रेखाएं (त्रिपुंड) व एक बिंदु होता है। जो शिवलिंग पर भी समान रूप से निरुपित होती है।प्राचीन ऋषियों और मुनियों द्वारा ब्रह्माण्ड के वैज्ञानिक रहस्य को समझ कर इसके सत्य को प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न रूपों में इसका स्पष्टीकरण दिया जिसमें शिवलिंग भी एक है।

PunjabKesari Type of shivalinga
Which metal should Shivling be made of ? शिवलिंग किस धातु का हो :- शिवलिंग को पूजा घर में स्थापित करने से पूर्व यह ध्यान रखें की शिवलिंग में धातु का बना एक नाग लिपटा हुआ हो। शिवलिंग सोने, चांदी या तांबे से निर्मित होना चाहिए।

Place Shivling under the water stream शिवलिंग को रखें जलधारा के नीचे :- यदि आपने शिवलिंग को घर पर रखा है तो ध्यान रहे की शिवलिंग के नीचे सदैव जलधारा बरकरार रहे अन्यथा वह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

PunjabKesari Type of shivalinga

Which idol should be near Shivalinga कौन सी मूर्ति हो शिवलिंग के समीप :- शिवलिंग के समीप सदैव गौरी तथा गणेश की मूर्ति होनी चाहिए। शिवलिंग कभी भी अकेले स्थापित नहीं होने चाहिए।  शिवालयों या भगवान शिव के मंदिर में आपने देखा होगा की उनकी आराधना एक गोलाकार पत्थर के रूप में लोगों द्वारा की जाती है। जो पूजा स्थल के गर्भगृह में पाया जाता है।

Meaning of Shivalinga शिवलिंग का अर्थ :- शिवलिंग भगवान शिव की रचनात्मक और विनाशकारी दोनों ही शक्तियों को प्रदर्शित करता है। शिवलिंग का अर्थ होता है ”सृजन ज्योति” यानी भगवान शिव का आदि-अनादि स्वरूप। सूर्य, आकाश, ब्रह्माण्ड, तथा निराकार महापुरुष का प्रतीक होने का कारण ही यह वेद अनुसार ज्योतिर्लिंग यानी ‘व्यापक ब्रह्मात्मलिंग’ जिसका अर्थ है ‘व्यापक प्रकाश’। शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है, जो शिवलिंग कहलाया। शिवलिंग का आकार-प्रकार ब्रह्माण्ड में घूम में रही आकाश गंगा के समान ही है। यह शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड में घूम रहे पिंडो का एक प्रतीक ही है।

PunjabKesari Type of shivalinga
Type of shivling शिवलिंग का प्रकार
Dev Linga देव लिंग :-
जिस शिवलिंग को दवाओं द्वारा स्थापित किया हो उसे देव लिंग के नाम से पुकारा जाता है, वर्तमान में मूल एवं पारम्परिक रूप से इस प्रकार के शिवलिंग देवताओं के लिए पूजित है।

Asura Linga असुर लिंग :- असुरों द्वारा जिस शिवलिंग की पूजा की जाती वह असुर लिंग कहलाता था। रावण ने भी ऐसे ही एक शिवलिंग की स्थापना करी थी। रावण की तरह ही अनेक असुर थे, जो भगवान शिव के भक्त थे और भगवान शिव कभी अपने भक्तों में भेदभाव नहीं करते थे।

Arsh Linga अर्श लिंग :- पुराने समय में ऋषि मुनियों द्वारा जिन शिवलिंगों की पूजा की जाती थी वे अर्श लिंग कहलाते थे।

Purana Linga पुराण लिंग :- पौराणिक युग में व्यक्तियों द्वारा स्थापित किये गए शिवलिंगों को पुराण लिंग के नाम से जाना गया।

Manav Shivalinga मानव शिवलिंग :- वर्तमान में मानवों द्वारा निर्मित भगवान शिव के प्रतीक शिवलिंग, मानव निर्मित शिवलिंग कहलाए।

Swabhum ling स्वयंभू लिंग :- भगवान शिव किसी कारण जिस स्थान पर स्वतः ही लिंग के रूप में प्रकट हुए इस प्रकार के शिवलिंग स्वयंभू लिंग कहलाए।

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!