Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jul, 2024 12:39 PM
राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित उदयपुर समुद्र तल से 598 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक शहर है। यह शहर झीलों, शानदार महलों, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और चटपटे स्वादिष्ट
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Udaipur tourism: राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित उदयपुर समुद्र तल से 598 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक शहर है। यह शहर झीलों, शानदार महलों, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और चटपटे स्वादिष्ट व्यंजनों का केंद्र है। उदयपुर के किलों तथा महलों को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं। यहां के शाही आकर्षण को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। लुभावनी वास्तुकला राजस्थान के महाराजाओं की शाही जीवनशैली की झलक देती है।
Best places to visit in udaipur with family: उदयपुर में यात्रा करने के लिए कुछ सबसे लोकप्रिय किले और महल हैं - सिटी पैलेस, जग मंदिर महल, फतेह प्रकाश पैलेस, ताज लेक पैलेस, बागोर की हवेली आदि। तो परिवार की छुट्टी के साथ-साथ दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने के लिए उदयपुर बेहतरीन विकल्प है। यह निश्चित रूप से आपके शरीर और आत्मा को फिर से जीवंत कर देगा क्योंकि कई झीलें इस शहर को सुशोभित करती हैं। इसी खास वजह से उदयपुर को ‘पूरब का वेनिस’ भी कहा जाता है।
City Palace of Udaipur उदयपुर का सिटी पैलेस
सिटी पैलेस की स्थापना 16वीं शताब्दी में आरंभ हुई। इसे स्थापित करने का विचार एक संत ने राजा उदयसिंह द्वितीय को दिया था। इस प्रकार यह परिसर 400 वर्षों में बने भवनों का समूह है। यह एक भव्य परिसर है। इसे बनाने में 22 राजाओं का योगदान था। इस परिसर में प्रवेश के लिए टिकट लगता है। बादी पॉल से टिकट लेकर आप इस परिसर में प्रवेश कर सकते हैं।
परिसर में प्रवेश करते ही आपको भव्य त्रिपोलिया गेट दिखेगा। इसमें सात मेहराब हैं। ये मेहराब उन सात विशेष अवसरों के प्रतीक हैं, जब राजा को सोने और चांदी से तौला गया था तथा उनके वजन के बराबर सोना-चांदी गरीबों में बांट दिया गया था।
इसके सामने की दीवार ‘अंगद’ कहलाती है। यहां पर हाथियों की लड़ाई का खेल होता था। इस परिसर में एक जगदीश मंदिर भी है। इसी परिसर का एक भाग सिटी पैलेस संग्रहालय है। इसे अब सरकारी संग्रहालय घोषित कर दिया गया है। वर्तमान में शभूक निवास राजपरिवार का निवास स्थान है। इससे आगे दक्षिण दिशा में फतेह प्रकाश भवन तथा शिव निवास भवन है। वर्तमान में दोनों को होटल में परिवर्तित कर दिया गया है।
Pichola Lake पिछोला झील
उदयपुर के पश्चिम में पिछोली गांव के निकट इस झील का निर्माण राणा लखा के काल (14वीं शताब्दी के अंत) में पीछू चिड़िमार बंजारे ने करवाया था। महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने इस शहर की खोज के बाद इस झील का विस्तार कराया था। झील में दो द्वीप हैं और दोनों पर महल बने हुए हैं। एक है जग निवास, जो अब लेक पैलेस होटल बन चुका है और दूसरा है जग मंदिर, उदयपुर। दोनों ही महल राजस्थानी शिल्पकला के बेहतरीन उदाहरण हैं। इन्हें नाव द्वारा जाकर देखा जा सकता है।
इस झील पर चार द्वीप है—
जग निवास, जहां लेक पैलेस बना है।
जग मंदिर, जहां इसी नाम से महल है।
मोहन मंदिर, जहां से राजा वार्षिक गणगौर उत्सव को देखते थे।
अरसी विलास, एक छोटा द्वीप, जो पहले गोला बारूद गोदाम था, एक छोटा महल भी है। यह उदयपुर के महाराणा द्वारा झील से सूर्यास्त का आनंद लेने के लिए बनाया गया था।
यह झील मीठे पानी की कृत्रिम झील है। इस झील का मनोरम दृश्य इतना सुंदर है कि यह बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस झील के किनारे दूध तलाई स्थित है।
झील के तट पर एक नटनी का चबूतरा है और समीप ही हवाला ग्राम या शिल्पग्राम है, उत्तर में अमर कुंड स्थित है। इसी में राजस्थान की प्रथम सौर ऊर्जा संचालित नाव चलाई गई।
Jag Mandir जग मंदिर
जग मंदिर पिछोला झील में एक द्वीप पर बना एक महल है। इसे लेक गार्डन पैलेस भी कहा जाता है। इसके निर्माण का श्रेय मेवाड़ राज्य के सिसोदिया राजपूतों के तीन महाराणाओं को जाता है। महल का निर्माण 1551 में महाराणा अमर सिंह द्वारा शुरू किया गया था, जिसे महाराणा कर्ण सिंह (1620-1628) द्वारा जारी रखा गया और अंत में महाराणा जगत सिंह प्रथम (1628-1652) द्वारा पूरा किया गया।
इसका नाम अंतिम महाराणा जगत सिंह के सम्मान में जगत मंदिर रखा गया है। शाही परिवार ने महल का इस्तेमाल गर्मियों के रिसॉर्ट और पार्टियों के आयोजन के लिए आनंद महल के रूप में किया। यह पिछोला झील के दक्षिणी छोर पर दो प्राकृतिक द्वीपों में से एक पर स्थित है। महाराणा उदय सिंह द्वितीय के शासनकाल के दौरान 1560 में बांधों का निर्माण करके झील का काफी विस्तार किया गया था। उस समय महाराणा ने झील के बीच में द्वीपों पर जग मंदिर और लेक पैलेस (जग निवास होटल) भी बनवाया था। उदयपुर शहर अपने सिटी पैलेस और अन्य स्मारकों और मंदिरों के साथ झील की परिधि पर बनाया गया था। कई शहरपनाह (शहर की दीवार) से निकलने वाली गलियां जगदीश मंदिर पर मिलती हैं। मंदिर में सबसे खूबसूरत घटना वार्षिक रथ यात्रा है। इसे 1651 में महाराणा जगत सिंह ने बनवाया था।