Uma Bhagwati Mandir: 34 वर्ष बाद खुला अनंतनाग का उमा भगवती मंदिर, इस जगह मां उमा ने की थी तपस्या

Edited By Prachi Sharma,Updated: 23 Sep, 2024 10:33 AM

uma bhagwati mandir

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के शांगस में ऐतिहासिक उमा भगवती मंदिर 34 वर्ष बंद रहने के बाद इस जुलाई में खोला गया। दक्षिणी कश्मीर का अनंतनाग कभी आतंक का गढ़ था। 1990 में यहां आतंकवाद के चलते स्थानीय हिन्दुओं के पलायन करने के साथ ही उमा भगवती मंदिर भी बंद...

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Uma Bhagwati Mandir: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के शांगस में ऐतिहासिक उमा भगवती मंदिर 34 वर्ष बंद रहने के बाद इस जुलाई में खोला गया। दक्षिणी कश्मीर का अनंतनाग कभी आतंक का गढ़ था। 1990 में यहां आतंकवाद के चलते स्थानीय हिन्दुओं के पलायन करने के साथ ही उमा भगवती मंदिर भी बंद हो गया था। यहां तक कि हिंसा के दौर में इस मंदिर में आग लगा दी गई थी।

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वर्ष 2010 तक जीर्ण-शीर्ण अवस्था में रहा मंदिर
माता के भक्तों को यहां ठहराने के लिए दो यात्री निवास थे। इनमें एक बार में डेढ़ हजार श्र
द्धालु ठहर सकते थे। ये यात्री निवास भी आतंक की भेंट चढ़ गए। मंदिर में स्थापित माता की मूर्ति भी क्षतिग्रस्त हो गई थी। वर्ष 2010 तक यह मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में रहा। इसके बाद से इसका जीर्णोद्धार शुरू किया गया।

गर्भगृह में स्थापित हुई माता की मूर्ति
जीर्णोद्धार में मंदिर के सभी हिस्सों की मुरम्मत की गई है। काम पूरा होने के बाद माता की मूर्ति को धार्मिक मंत्रोच्चार के बीच गर्भगृह में प्रतिस्थापित किया गया। यह मूर्ति राजस्थान से मंगवाई गई है।

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श्रद्धालु बोले- शांति का हो रहा अनुभव
मंदिर में दर्शन करने के लिए पहुंचे श्रद्धालु कहते हैं कि यहां आकर शांति का अनुभव होता है। यहां पर सभी धर्मों के लोग पहुंचते हैं। अब अन्य मंदिरों के जीर्णोद्धार का भी फैसला हुआ है।

यह है इतिहास
उमा भगवती देवी मंदिर का इतिहास सतयुग से जुड़ा है। माता पार्वती ने सती होने से पहले इच्छा जाहिर की थी कि मैं महादेव की फिर से अर्धांगिनी बनूं। फिर वह हिमालय की कोख से जन्म लेती हैं और उन्हें उमा नाम से बुलाया गया। उन्होंने अपनी मां मीना से आज्ञा प्राप्त की और महादेव को खोजते हुए ब्रारीआंगन (शांगस इलाके का वह स्थान, जहां यह मंदिर स्थापित है) पहुंच गईं। भगवती उमा ने इसी स्थल पर तपस्या की थी। इसके बाद इस जगह का नाम ‘उमा नगरी’ पड़ गया। इसी स्थान पर मंदिर बनाया गया और नाम उमा भगवती मंदिर पड़ा।

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मनाए जाते थे दो वार्षिक पर्व
इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष दो पर्व मनाए जाते थे। एक उमा जयंती, जो अप्रैल में होती है और दूसरा शिवाराम संत (जिन्होंने 17वीं शताब्दी में उमा नगरी की नींव रखी) का निर्वाण दिवस जनवरी में मनाया जाता था।

5 कुंडों के बीच स्थित मंदिर
दक्षिण कश्मीर के बरारी आंगन में उमा भगवती एक प्राचीन मंदिर है। यह बह्मा कुंड, विष्णु कुंड, रुद्र कुंड और शिव शक्ति कुंड सहित कुल 5 कुंडों के बीच स्थित है।

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