Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Dec, 2021 10:44 AM
भारत में लाखों मंदिर हैं। देश का मुश्किल से ही ऐसा कोई गांव होगा जहां आपको कोई मंदिर न मिले। इसमें से तमाम ऐसे मंदिर भी हैं जो अपने भीतर कई तरह के रहस्य संजोए हुए हैं। इसके अलावा सभी मंदिरों
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Unique Mahalaxmi temple in Ratlam: भारत में लाखों मंदिर हैं। देश का मुश्किल से ही ऐसा कोई गांव होगा जहां आपको कोई मंदिर न मिले। इसमें से तमाम ऐसे मंदिर भी हैं जो अपने भीतर कई तरह के रहस्य संजोए हुए हैं। इसके अलावा सभी मंदिरों की अपनी अलग पहचान तथा अलग महत्व है।
ऐसे ही कई रहस्यों को अपने भीतर समेटे हुए एक मंदिर मध्य प्रदेश के रतलाम में है। इस मंदिर का नाम महालक्ष्मी मंदिर है। यह मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के माणक में स्थित है। मंदिर इस वजह से अनोखा है क्योंकि यहां आने वाले भक्तों को प्रसाद के रूप में लड्डू या कोई खाने की चीज नहीं बल्कि सोने-चांदी के सिक्के या गहने दिए जाते हैं।
यहां हर रोज भक्तों की भारी भीड़ लगती है। मंदिर के प्रति भक्तों की बहुत ज्यादा आस्था है। इसी वजह से भक्त यहां पर रोजाना मां महालक्ष्मी को करोड़ों रुपए के गहने चढ़ाते हैं। इसके अलावा वे नकदी भी चढ़ाते हैं।
नोटों से बनते हैं वंदनवार
मंदिर की प्रसिद्धि कुबेर के खजाने के रूप में है। दीपावली के 5 दिनों के दौरान तो यहां कुबेर के खजाने-सा नजारा ही दिखता है। मंदिर में हार-पुष्प से सजावट नहीं होती बल्कि नोटों की गड्डियों के वंदनवार बनाए जाते हैं। सोने-चांदी के गहनों से सजावट की जाती है।
स्थानीय ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के भक्त भी यहां मनी ऑर्डर से अपनी चढ़ावे की राशि भेजते हैं। यह परम्परा बरसों से जारी है और इसी के चलते मंदिर को कुबेर का खजाना कहा जाता है। दीवाली के दिनों में मंदिर में 50 से लेकर 500 रुपए तक के नोटों से सजावट की जाती है और नोटों की लडिय़ां मां लक्ष्मी का स्वागत-सत्कार करती नजर आती हैं। सोने-चांदी व हीरे-जवाहरात भी मां के चरणों में रखे जाते हैं।
मंदिर में जो भक्त चढ़ावा देते हैं उनके नाम बहीखाते में लिखे जाते हैं। फोटो भी ली जाती है। दीपावली के पांचवें दिन रजिस्टर की एंट्री के आधार पर भक्तों को उनकी चढ़ावा सामग्री लौटाई जाती है। यह आस्था ही है जो अपनी जमा पूंजी, सोना-चांदी 5 दिनों तक मां के चरणों में अर्पित करके भूल जाते हैं।