वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंगः जानें, क्या है इसके पीछे का इतिहास

Edited By Lata,Updated: 02 Aug, 2019 10:08 AM

vaidyanath jyotirlinga katha

शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में जो इंसान 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी एक ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video) 
शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में जो इंसान 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी एक ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है वह बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है। जैसा कि हम पहले आठ ज्योतिर्लिंगों का वर्णन कर चुके हैं, इसके साथ ही आज हम नौवें ज्योतिर्लिंग यानि वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में बात करेंगे। 
PunjabKesari, kundli tv, Vaidyanath Jyotirlinga
श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर स्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त, पूर्व में बिहार प्रान्त के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है। चलिए आगे जानते हैं इसके स्थापना के पीछे की कथा को। 
PunjabKesari, kundli tv, Vaidyanath Jyotirlinga
एक बार राक्षसराज रावण ने हिमालय पर जाकर भगवान शिव का दर्शन प्राप्त करने के लिए बड़ी घोर तपस्या की। उसने एक-एक करके अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ाना शुरू कर दिया। इस प्रकार उसने अपने नौ सिर वहां काटकर चढ़ा दिए। जब वह अपना दसवां और अंतिम सिर काटकर चढ़ाने के लिए उद्यत हुआ तब भगवान शिव अतिप्रसन्न और संतुष्ट होकर उसके समक्ष प्रकट हो गए। शीश काटने को उद्यत रावण का हाथ पकड़कर उन्होंने उसे ऐसा करने से रोक दिया। उसके नौ सिर भी पहले की तरह जोड़ दिए और अत्यंत प्रसन्न होकर उससे वर मांगने को कहा। रावण ने वर के रूप में भगवान शिव से उस शिवलिंग को अपनी राजधानी लंका में ले जाने की अनुमति मांगी। भगवान शिव ने उसे यह वरदान तो दे दिया लेकिन एक शर्त भी उसके साथ लगा दी। उन्होंने कहा, तुम शिवलिंग ले जा सकते हो किंतु यदि रास्ते में इसे कहीं रख दोगे तो यह वहीं अचल हो जाएगा, तुम फिर इसे उठा न सकोगे।
PunjabKesari, kundli tv, Vaidyanath Jyotirlinga
रावण इस बात को स्वीकार कर उस शिवलिंग को उठाकर लंका के लिए चल पड़ा। चलते-चलते एक जगह मार्ग में उसे लघुशंका करने की आवश्यकता महसूस हुई। वह उस शिवलिंग को एक अहीर के हाथ में थमाकर लघुशंका की निवृत्ति के लिए चल पड़ा। उस अहीर को शिवलिंग का भार बहुत अधिक लगा और वह उसे संभाल न सका। विवश होकर उसने शिवलिंग को वहीं भूमि पर रख दिया। रावण जब लौटकर आया तब बहुत प्रयत्न करने के बाद भी उस शिवलिंग को किसी प्रकार भी उठा न सका। अंत में थककर उस पवित्र शिवलिंग पर अपने अंगूठे का निशान बनाकर उसे वहीं छोड़कर लंका को लौट गया। तत्पश्चात ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने वहां आकर उस शिवलिंग का पूजन किया। 
PunjabKesari, kundli tv, Vaidyanath Jyotirlinga
इस प्रकार वहां उसकी प्रतिष्ठा कर वे लोग अपने-अपने धाम को लौट गए। यही ज्योतिर्लिंग 'श्रीवैद्यनाथ' के नाम से जाना जाता है। यह श्रीवैद्यनाथ-ज्योतिर्लिंग अनंत फलों को देने वाला है। यह ग्यारह अंगुल ऊंचा है। इसके ऊपर अंगूठे के आकार का गड्डा है। कहा जाता है कि यह वहीं निशान है जिसे रावण ने अपने अंगूठे से बनाया था। यहां दूर-दूर से तीर्थों का जल लाकर चढ़ाने का विधान है। रोग-मुक्ति के लिए भी इस ज्योतिर्लिंग की महिमा बहुत प्रसिद्ध है। 
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंगः एक साथ करें ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश के दर्शन
पुराणों में बताया गया है कि जो मनुष्य इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन करता है, उसे अपने समस्त पापों से छुटकारा मिल जाता है। भगवान शंकर की कृपा से वह सारी बाधाओं, समस्त रोगों-शोकों से छुटकारा पा जाता है। 

Related Story

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!