Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Nov, 2024 12:38 PM
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Vaikuntha Chaturdashi 2024: वैकुण्ठ चतुर्दशी भगवान विष्णु (श्री हरि) और भगवान शिव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन विशेष रूप से वैकुण्ठ द्वार के उद्घाटन का प्रतीक माने जाने के कारण, घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
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Vaikuntha Chaturdashi 2024: वैकुण्ठ चतुर्दशी भगवान विष्णु (श्री हरि) और भगवान शिव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन विशेष रूप से वैकुण्ठ द्वार के उद्घाटन का प्रतीक माने जाने के कारण, घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिन पूजा और दीप जलाने के दौरान कुछ विशेष दिशा-निर्देशों का पालन करना घर में सुख-शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। वैकुण्ठ चतुर्दशी पर पूजा करते समय वास्तु के इन नियमों का पालन करके आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा सकते हैं और भगवान विष्णु और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। सही दिशा, समय और पूजा विधि का पालन करने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य की वृद्धि होती है।
वैकुण्ठ चतुर्दशी पर पूजा करते समय वास्तु के प्रमुख नियम: पूजा का स्थान (स्थान निर्धारण): पूजा स्थल को पूर्व या उत्तर दिशा में बनाना चाहिए। इन दिशाओं को शुभ और सकारात्मक माना जाता है। विशेष रूप से भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा में उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) को सर्वोत्तम दिशा माना जाता है। यदि पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में न हो सके तो पूर्व दिशा भी उपयुक्त है क्योंकि सूर्योदय इस दिशा से होता है और इसे ऊर्जा का मुख्य स्रोत माना जाता है।
दीप जलाने की दिशा: वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन दीप जलाते समय यह सुनिश्चित करें कि दीपक पूर्व या उत्तर दिशा में रखा जाए। दीपक के जलने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। दीपकों को घर के प्रत्येक कोने में रखें, विशेष रूप से उत्तर, पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशाओं में। इससे घर में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है।
पूजा की सामग्री का स्थान: भगवान श्री हरि और भगवान शिव की मूर्तियां या चित्र पूजा स्थल के उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। इस स्थान को शुद्ध और स्वच्छ रखें। भगवान शिव की पूजा में नंदी की तस्वीर या प्रतिमा को पूजा स्थल के पास रखें और सुनिश्चित करें कि नंदी का मुंह पूजा स्थल की ओर हो।
ध्यान केंद्र (Meditation Center): पूजा स्थल में ध्यान या मंत्र जाप के लिए भी उत्तर-पूर्व दिशा सबसे उपयुक्त मानी जाती है क्योंकि यह दिशा ध्यान और मानसिक शांति के लिए अनुकूल है।
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पवित्रता बनाए रखें: पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और वहां किसी भी प्रकार की गंदगी या अव्यवस्था न हो ताकि यह स्थान सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता रहे। विशेष रूप से वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन यह अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह दिन विशेष रूप से आध्यात्मिक उन्नति और पुण्य की प्राप्ति का होता है।
पूजा का समय: वैकुण्ठ चतुर्दशी पर पूजा करने का सर्वोत्तम समय रात्रि के समय होता है। इस दिन रात्रि को दीप जलाने और ध्यान करने से विशेष लाभ होता है क्योंकि इसे वैकुण्ठ द्वार का उद्घाटन और पुण्य का दिन माना जाता है। यदि आप रात्रि को पूजा नहीं कर सकते तो दिन में भी पूजा करें लेकिन ध्यान रखें कि पूजा का समय शुभ और मुहूर्त में हो।
वास्तु अनुसार घर के प्रत्येक स्थान का ध्यान: पूजा के दौरान ध्यान रखें कि घर के मुख्य द्वार से लेकर प्रत्येक कमरे के कोने में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। यदि कोई कोना अंधेरा या बंद हो, तो वहां दीपक रखें। मुख्य दरवाजे को स्वच्छ और साफ रखें और इस पर मांगलिक चिह्न जैसे कि स्वास्तिक या महालक्ष्मी के चरण चिन्ह चिपकाएं ताकि दरवाजे से घर में सकारात्मकता का प्रवेश हो।
मिट्टी के दीपक का प्रयोग: वैकुण्ठ चतुर्दशी पर मिट्टी के दीपक जलाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह पारंपरिक रूप से आध्यात्मिक और शुद्ध ऊर्जा का प्रतीक होता है। इससे घर में अधिक सकारात्मकता और आशीर्वाद आता है।
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