Edited By Prachi Sharma,Updated: 09 Oct, 2024 11:33 AM
जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के त्रिकूट पर्वत पर मां वैष्णो देवी गुफा में विराजमान है। जहां पर हर दिन हजारों की संख्या में देश भर से श्रद्धालु नमन के लिए पहुंचते हैं।
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कटड़ा (अमित): जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के त्रिकूट पर्वत पर मां वैष्णो देवी गुफा में विराजमान है। जहां पर हर दिन हजारों की संख्या में देश भर से श्रद्धालु नमन के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में यह बताना उचित होगा की मां वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान इन स्थलों पर दर्शनों की भी विशेष प्राथमिकता है। ऐसे में अगर आप वैष्णो देवी यात्रा के लिए आ रहे हैं तो इन स्थानों पर नमन जरूर करें ताकि आपकी यात्रा संपूर्ण हो सके।
प्राचीन देवा माई स्थल
कटड़ा से करीब 7 किलोमीटर दूर देवा माई स्थल जंगलों के बीचों बीच है। जहां पर नमन करने से देवा माई का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। प्राचीन कथाओं के अनुसार वैष्णो देवी यात्रा के दौरान पहले दर्शन कोल कंडोली को माना जाता है, जो कि जम्मू के नगरोटा में स्थित है। वही दूसरा दर्शन देवा माई को माना जाता है। जोकि कटड़ा के साथ लगते गांब नोमाई में स्थित है। माना जाता है कि देवा माई जहां पर धरती से प्रकट हुई थी और 110 वर्षों तक कन्या रूप में रहीं थीं। इसके बाद से माता रानी शिला रूप में विराजमान हैं। जो यात्री 12 किलोमीटर का पैदल सफर नहीं कर सकते हैं। वह स्थल पर आकर दर्शन करते हुए नमन करें तो उन्हें वैष्णो देवी नमन जितना ही आशीर्वाद मिलता है।
प्रसिद्ध भूमिका मंदिर कटड़ा
माता वैष्णो देवी यात्रा के दौरान प्राचीन भूमिका मंदिर की भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि यह स्थल माता रानी के परम भक्त श्रीधर का पैतृक गांव है। प्राचीन कथाओं के अनुसार मां वैष्णो देवी ने बाबा श्रीधर को दर्शन देकर भंडारा रखवाने का आदेश दिया था लेकिन निर्धन बाबा श्रीधर ने जब भंडारा रखने में असमर्थता जताई तो माता रानी ने कहा कि वह भंडारा रखवाएं बाकी सब महारानी संभाल लेंगी।
माता रानी का आदेश पाकर जब श्रीधर ने भंडारा रखवाया तो बाबा भैरव अपने शिष्यों के साथ भंडारे में पहुंच गए और मांस और मदिरा की मांग करने लगे। इस पर माता रानी ने कहा कि यह ब्राह्मण के घर का भंडारा है और जहां पर आपको वैष्णव भोजन ही मिलेगा। इसके बाद भैरव बाबा ने मां वैष्णवी को छूने का प्रयास किया तो मां भगवती लुप्त हो गई।
यात्रा से पहले बाणगंगा में जरूर करें स्नान
कहां जाता है कि जब मां वैष्णो देवी बाबा श्रीधर के घर से लुप्त होकर त्रिकूट पर्वत की ओर बढ़ी तो एक स्थल पर वीर लंगूर को प्यास लगी। जिस स्थल पर माता रानी ने अपने धनुष से बाण छोड़कर पानी निकाल कर वीर लंगूर की प्यास बुझाई और अपने केश भी धोए थे। इस स्थल को बाणगंगा के नाम से जाना जाता है। मां वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान श्रद्धालु इस स्थल पर स्नान कर के यात्रा मांर्ग पर आगे बढ़ते हैं।
चरण पादुका स्थल का भी है विशेष महत्व
प्राचीन कथाओं के अनुसार वैष्णो देवी में वीर लंगूर के साथ त्रिकूट पर्वत की ओर बढ़ते हुए एक स्थल पर खड़े होकर पीछे मुड़कर भैरव बाबा की और देखा था की क्या कहीं वह पीछे तो नहीं आ रहा। उस चट्टान पर माता रानी के चरण आज भी मौजूद हैं। स्थल को चरण पादुका के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि वैष्णो देवी यात्रा के दौरान भक्त स्थल पर नमन कर के भी आशीर्वाद जरूर प्राप्त करें।
अर्धकुवारी में स्थित गर्भजून
त्रिकूट पर्वत की ओर बढ़ते हुए मां वैष्णो देवी ने अर्धकुवारी में स्थित गुफा में 9 महीने तक तप किया था। जिस स्थल को गर्भजून के नाम से जाना जाता है। इस स्थल पर दर्शन करने से व्यक्ति को गर्भ में पीड़ा नहीं होती है। वहीं श्रद्धालु यात्रा के दौरान गर्भजून में दर्शनों को भी विशेष प्राथमिकता देते हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने उक्त स्थल पर वैष्णो देवी भवन की तर्ज पर सुबह-शाम आरती का भी आयोजन किया है। नवरात्रों के उपलक्ष्य पर इस स्थल पर भी श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।
वैष्णो देवी भवन की मुख्य गुफा
वैष्णो देवी भवन पर मां भगवती तीन पिंडी रूप में विराजमान हैं। जहां पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को माता रानी के अलौकिक दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी होती है। माना जाता है कि भैरव बाबा जब माता रानी का पता लगात-लगाते इस स्थल पर पहुंचा था तो वीर लंगूर और भैरव बाबा के बीच युद्ध हुआ था। जैसे ही वीर लंगूर भैरव पर प्रहार करने लगा तो माता रानी ने उसे रोक दिया और कहा कि इस नीच का अंत मेरे हाथों ही लिखा है। इसके बाद माता रानी ने क्रोध में आकर अपने त्रिशूल से भैरव बाबा पर प्रहार किया था। इस प्रहार से भैरव का मुख भैरव घाटी में जाकर गिरा था और धड़ गुफा के बाहर ही गिर गया था। जिसके बाद भैरव बाबा द्वारा क्षमा-याचना करने पर माता रानी ने उसे वरदान दिया था कि वैष्णो देवी भवन पर प्राकृतिक पिंडियों के सामने नमन करने के बाद भैरव घाटी में दर्शन के बाद ही वैष्णो देवी यात्रा संपूर्ण मानी जाएगी।
बाबा अगर जित्तो धार्मिक स्थल
कटरा से करीब 4 किलोमीटर दूर रियासी मार्ग पर स्थित बाबा अगर जित्तो भी माता वैष्णो देवी स्थल से जुड़ा एक धार्मिक स्थल है। माना जाता है कि बाबा जित्तो पेशे से एक किसान थे जो हर दिन खेती-बाड़ी करने के साथ-साथ वैष्णो देवी भवन पर स्नान करने के लिए साथ-साथ नमन के लिए जाते थे। इसके बाद माता रानी ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था और उनके गांव में ही प्राकृतिक झरना भी प्रकट हुआ था। इस स्थल की विशेषता है कि जो महिला इस स्थल पर स्नान करेगी वह निसंतान नहीं रहेगी। इसलिए स्थल पर भी लोग स्नान के साथ-साथ दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।