Vaman Dwadashi 2024: आज मनाई जाएगी वामन जयंती, इस तरह पूजा करने से मिलेगा पूर्ण फल

Edited By Prachi Sharma,Updated: 15 Sep, 2024 04:00 AM

vaman dwadashi

पंचांग के मुताबिक भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कल्कि द्वादशी मनाई जाती है। कल्कि द्वादशी हिन्दू कैलेंडर के अनुसार एक विशेष धार्मिक अवसर है जो विशेष रूप से कल्कि

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Vaman Dwadashi 2024: पंचांग के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयन्ती मनाई जाती है और ये आज 15 सितम्बर को मनाई जा रही है। आज के दिन भगवान विष्णु के वामन रुप कि पूजा की जाती है। इनका उल्लेख विशेष रूप से पुराणों में मिलता है और वे वामन अवतार के रूप में जाने जाते हैं। वामन देव का अवतार दैत्यराज बलि के खिलाफ भगवान विष्णु के एक विशेष अवतार के रूप में हुआ था। बलि ने भगवान ब्रह्मा, विष्णु, और शिव को भी पराजित कर दिया था और तीनों लोकों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था। इस स्थिति को सुधारने के लिए भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया। वामन जयंती की कथा कुछ इस प्रकार है-

वामन देव का अवतार और कथा
प्राचीन काल में राक्षसों के राजा बलि अत्यंत शक्तिशाली और दानी थे। उन्होंने सदा दान करने की आदत डाली थी और अपने बल और सामर्थ्य से देवताओं को पराजित कर दिया था। उनके शासन के कारण देवताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और स्वर्गलोक पर भी उनका नियंत्रण हो गया था। सभी देवताओं की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने बलि के अहंकार को समाप्त करने के लिए वामन अवतार लिया। वामन देव एक छोटे ब्राह्मण बालक के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने बलि के दरबार में जाकर उससे तीन पग भूमि का दान मांगा। बलि ने बिना किसी संकोच के इसे स्वीकार कर लिया क्योंकि वह दान देने के लिए प्रसिद्ध था और उसे अपने दान की शक्ति पर गर्व था।

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जैसे ही वामन देव ने दान प्राप्त किया, उन्होंने अपने विराट रूप में परिवर्तन किया। पहले पग में उन्होंने पूरी पृथ्वी और आकाश को नाप लिया, दूसरे पग में स्वर्गलोक को ढक लिया और तीसरे पग में बलि ने अपना सिर अर्पित कर दिया। इस वजह से वामन देव बलि से प्रसन्न हो गए और उसे सुतल लोक का अधिपति बना दिया और कहा कि वह हर साल अपने लोगों से मिलने आ सकते हैं। इस प्रकार बलि को सम्मानित किया गया और उसकी शक्ति को नियंत्रित किया गया।

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Vaman Dev Worship Method वामन देव पूजा विधि

आज के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान वामन देव के ध्यान में बैठें।

पूजा स्थल पर दीपक प्रज्वलित करें। दीपक से भगवान वामन देव का स्वागत करें और आह्वान करें।

धूप बत्ती जला कर भगवान वामन देव को अर्पित करें। भगवान को पुष्प अर्पित करते समय ॐ वामनाय नमः मंत्र का जाप करें।

वामन देव की प्रतिमा या चित्र पर पंचामृत अर्पित करें। यह अभिषेक भगवान को पवित्र और शुद्ध करने के प्रतीक होते हैं।

भगवान वामन को नैवेद्य अर्पित करें। इस समय प्रार्थना करें और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।

 वामन देव की आरती करें। इस दौरान जय वामन देव या उनके अन्य प्रसिद्ध मंत्रों का उच्चारण करें।

अंत में भगवान के सामने अपनी मनोकामना को प्रकट करें। 

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