Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Jan, 2024 07:49 AM
राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ समस्त भारतीयों की सर्वाधिक प्रिय मातृभूमि वंदना है। हर जाति, हम धर्म, हर वर्ग को मातृभूमि के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखने की प्रेरणा
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Vande Mataram: राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ समस्त भारतीयों की सर्वाधिक प्रिय मातृभूमि वंदना है। हर जाति, हम धर्म, हर वर्ग को मातृभूमि के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखने की प्रेरणा देने वाले इस गीत की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य इस प्रकार हैं :
7 नवम्बर, 1876 को बंगाल के कांतलपाडा गांव में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘वंदे मातरम्’ की रचना की।
1882 में ‘वंदे मातरम्’ बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंद मठ’ में सम्मिलित हुआ।
1896 में गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार ‘वंदे मातरम्’ को बंगाली शैली में लय और संगीत के साथ कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में गाया।
मूल रूप से ‘वंदे मातरम्’ के प्रारम्भिक दो पद संस्कृत में थे, जबकि शेष गीत बंगला भाषा में।
‘वंदे मातरम्’ का अंग्रेजी अनुवाद सबसे पहले अरविंद घोष ने किया।
दिसम्बर 1905 में कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में इसे राष्ट्रगीत का दर्जा प्रदान किया गया। बंग-भंग आंदोलन में ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रीय नारा बना।
1906 में ‘वंदे मातरम्’ देवनागरी लिपि में प्रस्तुत किया गया। कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर ने इसका संशोधित रूप प्रस्तुत किया।
1923 में कांग्रेस अधिवेशन में ‘वंदे मातरम्’ के विरोध में स्वर उठे।
पं. जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुुल कलाम आजाद, सुभाष चंद्र बोस और आचार्य नरेंद्र देव की समिति ने 28 अक्तूबर, 1937 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पेश अपनी रिपोर्ट में इस राष्ट्रगीत के गायन को अनिवार्य बाध्यता से मुक्त रखते हुए कहा था कि इस गीत के शुरूआती दो पैरे ही प्रासंगिक हैं। इस समिति का मार्गदर्शन गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर ने किया।
14 अगस्त, 1947 की रात्रि में संविधान सभा की पहली बैठक का प्रारंभ ‘वंदे मातरम्’ के साथ और समापन ‘जन गण मन’ के साथ किया गया।
1950 में ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रीय गीत और ‘जन गण मन’ राष्ट्रीय गान बना।
2002 के एक सर्वेक्षण के अनुसार ‘वंदे मातरम्’ विश्व का दूसरा सर्वाधिक लोकप्रिय गीत है।