Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Aug, 2024 04:05 AM
वरलक्ष्मी व्रत का महत्व आधिकारिक धार्मिक ग्रंथों और पुरानी परंपराओं में गहराई से निहित है। यह व्रत विशेष रूप से समृद्धि, सुख, ऐश्वर्य और परिवार के कल्याण के लिए किया जाता है। लक्ष्मी देवी धन, ऐश्वर्य, सुख और सौभाग्य की देवी मानी जाती हैं और
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Varad Laxmi Vrat 2024: वरलक्ष्मी व्रत का महत्व आधिकारिक धार्मिक ग्रंथों और पुरानी परंपराओं में गहराई से निहित है। यह व्रत विशेष रूप से समृद्धि, सुख, ऐश्वर्य और परिवार के कल्याण के लिए किया जाता है। लक्ष्मी देवी धन, ऐश्वर्य, सुख और सौभाग्य की देवी मानी जाती हैं और इस व्रत के माध्यम से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन व्रति (व्रत रखने वाली महिला) लक्ष्मी देवी की पूजा करके उनके आशीर्वाद से परिवार की खुशहाली और समृद्धि की कामना करती हैं। इसके साथ ही इस व्रत के माध्यम से घर में सुख-शांति और समृद्धि की स्थिरता बनाए रखने की कोशिश की जाती है।
धन, वैभव, समृद्धि, सुख और संपत्ति ऐसी वस्तुएं हैं, जिनकी इच्छा हर व्यक्ति करता है। शास्त्रों में इन वस्तुओं को प्राप्त करने का सरल माध्यम है वरलक्ष्मी व्रत। जो श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाई जाती है। ये व्रत अधिकतर कर्नाटक और तमिलनाडु में रहने वाले करते हैं। वरलक्ष्मी से वरदान और लक्ष्मी दोनों प्राप्त होते हैं। संतानहीन महिलाएं ये व्रत करें तो उनके घर-आंगन में जल्दी ही किलकारियां गूंजने लगती हैं। सौभाग्यवती महिलाओं का सौभाग्य अखण्ड रहता है। यदि पति-पत्नी दोनों मिलकर इस व्रत को करते हैं तो दोगुना फल प्राप्त होता है। मान्यता है की वरलक्ष्मी व्रत रखने वाला व्यक्ति अष्ट लक्ष्मी पूजन जितना पुण्य प्राप्त करता है। जो व्यक्ति व्रत करने में सक्षम न हो वो ये पूजा करने से वैभव और संपत्ति दोनों प्राप्त कर सकते हैं। उनके घर से दुख और दरिद्रता सदा के लिए बाहर चले जाते हैं।
Varalakshmi Puja Vidhi वरलक्ष्मी पूजा विधि: प्रदोष काल के समय स्नान कर घर की पश्चिम दिशा में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस पर चावल रख जल कलश रखें। कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति प्रतिष्ठित करें। माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें। कमल के फूल से पूजन करें। इसके अलावा सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई और फल भी रखें। इसके बाद माता लक्ष्मी के आठ रूपों की निम्न मंत्र के साथ कुंकुम, अक्षत और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें।
Varalakshmi Mantra वरलक्ष्मी मंत्र: ॐ पहिनी पक्षनेत्री पक्षमना लक्ष्मी दाहिनी वाच्छा भूत-प्रेत सर्वशत्रु हारिणी दर्जन मोहिनी रिद्धि सिद्धि कुरु-कुरु-स्वाहा।
Keep these things in mind while observing Varalakshmi Vrat वरलक्ष्मी व्रत करते समय ध्यान रखें- क्रोध, वैमनस्य, ईर्ष्या, जलन, नफरत और बेईमानी जैसे भावों से दूर रहना अति आवश्यक है। मन की सरलता से सारे तंत्र-मंत्र-यंत्र सिद्ध होते हैं।