Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 May, 2024 08:09 AM
साल में कुल 24 एकादशियों के व्रत आते हैं। हर एक एकादशी का अपना एक अलग महत्व होता है। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है जो व्यक्ति पूरे
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Varuthini Ekadashi 2024: साल में कुल 24 एकादशियों के व्रत आते हैं। हर एक एकादशी का अपना एक अलग महत्व होता है। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है जो व्यक्ति पूरे मन से विष्णु जी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और मन की हर मुराद पूरी होती है। तो आइए जानते हैं कि वरुथिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में।
Varuthini Ekadashi auspicious time वरुथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 03 मई को रात 11 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगी और 04 मई को रात 08 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं उदयातिथि के अनुसार वरूथिनी एकादशी का व्रत 04 मई को होगा।
Importance of Varuthini Ekadashi fast वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व
सनातन धर्म में वरुथिनी एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और विष्णु जी की सच्चे मन से पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी वाला जल भी अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
Varuthini Ekadashi Vrat Puja Vidhi वरुथिनी एकादशी व्रत पूजा विधि
वरुथिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर साफ वस्त्र धारण करें और घर के मंदिर में दीपक जलाएं।
इसके बाद विष्णु जी की प्रतिमा का अभिषेक करें और चंदन का तिलक लगाएं।
भगवान विष्णु को धुप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, पुष्प और माला अर्पित करें।
फिर विष्णु जी का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें।
वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी का भोग अवश्य लगाएं।
अंत में भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा और आरती करें।