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वास्तु में क्या है शुभ मुहूर्त का महत्व,जानिए यहां

Edited By Jyoti,Updated: 11 Apr, 2022 06:02 PM

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हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार किसी भी प्रकार का शुभ व मांगलिक कार्य करने के लिए मुहूर्त आदि का खास ध्यान रखा जाता है। कहा जाता है अगर मुहूर्त आदि के मद्देनजर

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ 
हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार किसी भी प्रकार का शुभ व मांगलिक कार्य करने के लिए मुहूर्त आदि का खास ध्यान रखा जाता है। कहा जाता है अगर मुहूर्त आदि के मद्देनजर काम न किया जाए तो संपूर्ण शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती। तो आज हम आपको इस आर्टिकल में हम आपको भवन निर्माण से जुड़े मुहूर्त के बारे में ही बताने जा रहे हैं। दरअसल वास्तु शास्त्र में गृह-निर्माण के समस्त कार्यों से संबंधित मुहूर्त का वर्णन किया गया है। इसमें किए उल्लेख के मुताबिक भवन निर्माण के दौरान शुभ मुहूर्तों आदि के बारे में किसी ज्योतिष व वास्तु शास्त्री से जान लेना चाहिए। वरना इसके दुष्प्रभावों से गुजरना चाहिए। 
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तो चलिए बिना देर किए हुए जानते हैं शुभ मुहूर्त- 
सबसे पहले बताया जाता है जब किसी को भवन के लिए भूमि क्रय करनी हो तो इसके लिए सबसे पहले शुभ मास, पक्ष, वार, तिथि, नक्षत्र तथा लग्न आदि का ध्यान देना चाहिए। 
शुभ मास-  हिंदू धर्म में वैसाख, ज्येष्ठ, मार्गशीर्ष, माघ एवं फाल्गुन को सबसे शुभ मास माना जाता है। 
शुभ पक्ष- चूंकि पंचांग के अनुसार दो ही पक्ष बताएं गए, अतः दोनों यानि कृष्ण एवं शुक्ल शुभ कहलाते हैं। 
शुभ वार- ज्योतिष व वास्तु के अनुसार सबसे शुभ दिन गुरुवार एवं शुक्रवार माने जाते हैं। 
शभ तिथि- तिथियों की बात करें तो द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, दशमी, एकादशी और पूर्णिमा अत्यंत शुभ तिथियां मानी गई हैं। 
शुभ नक्षत्र-  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र हैं, जिनमें से मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, विशाखा, अनुराधा, मूल तथा रेवती आदि को सबसे शुभ माना गया है। 
शुभ लग्न- कुल 12 लग्न होते हैं, जिनमें से वृष सिंह और वृश्चिक को सबसे शुभ माना जाता है। इसके बारे में संखेप में बताएं तो शुभ लग्न की कुंडली में केंद्र (1,4,7, 10) तथा त्रिकोण (5,9) भाव में शुभ ग्रह और 3,6,11 भाव में पाप ग्रह होना चाहिए। 
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इसके अलावा बता दें वास्तु व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भवन निर्माण करवाने वाले गृहस्वामी की जन्मकुंडली में सूर्य, चंद्र, गुरु और शुक्र की स्थिति बलवान होनी चाहिए। कहा जाता है कि सूर्य के निर्बलहोने पर पर सुख नाश होता है तथा शुक्र के निर्बल होने पर द्रव्य-नाश होता है। 

तो वहीं गृहस्वामी ब्राह्माण हो तो गुरु-शुक्र, वैश्य हो तो चंद्र-बुध तथा शुद्र होतो शनि विशेष रूपसे बली होना चाहिए। इसके अतिरिक्त गृहांरभ के समय पंचक और वृष वास्तु का विचार भी करना आवश्यक माना जाता है। 

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कुल मिलाकर वास्तु शास्त्र में शुभ मुहूर्त पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए, बताया गया है। इसमें कहा गया है कि शुभ मुहूर्त में भवन निर्माण करवाने से किसी प्रकार की बाधाएं उत्पन्न नहीं होती यानि सरलता से भवन निर्माण होता है। जो व्यक्ति इस दौरान शुभ मुहूर्त का ध्यान नहीं रखता को भवन निर्माण के दौरान भी तथा इसके उपरांत आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। 
 

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