Edited By Prachi Sharma,Updated: 29 Dec, 2024 07:04 AM
वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसका संबंध घर की चारों दिशाओं से है। अगर इन दिशाओं को सही से रखा जाए तो जीवन की तमाम परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं।
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Vastu Tips: वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसका संबंध घर की चारों दिशाओं से है। अगर इन दिशाओं को सही से रखा जाए तो जीवन की तमाम परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ वास्तु दोष उस स्थिति को कहा जाता है जब इन सभी तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है और इसके कारण घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है, जो जीवन में अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। ऐसे में कुछ साधारण बदलावों से हम वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं।
मुख्य द्वार का स्थान
मुख्य द्वार का स्थान घर के वास्तु में सबसे महत्वपूर्ण होता है। यदि मुख्य द्वार सही दिशा में न हो, तो घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर सकती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार को उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। यदि मुख्य द्वार की दिशा गलत है तो आप द्वार के आसपास के वातावरण को सकारात्मक बनाने के लिए सही रंगों और सजावट का उपयोग कर सकते हैं। द्वार को हमेशा साफ और व्यवस्थित रखना चाहिए। द्वार पर शुभ प्रतीक जैसे स्वास्तिक, ओम आदि लगाना अच्छा माना जाता है।
सोने के कमरे की दिशा
सोने का स्थान भी वास्तु में महत्वपूर्ण है। वास्तु के अनुसार सोने का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इससे व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। यदि सोने का कमरा उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा में है तो यह वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है और व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर असर डाल सकता है। अगर सोने का कमरा गलत दिशा में है तो आप बिस्तर की स्थिति बदल सकते हैं। सिर का भाग दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। कमरे में भारी और अंधेरे रंगों से बचें। हल्के रंग जैसे हल्का नीला, पीच या सफेद बेहतर होते हैं।
रसोईघर की दिशा
रसोईघर का स्थान भी घर के वास्तु में महत्वपूर्ण होता है। रसोईघर को दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाना आदर्श होता है। यदि रसोई घर गलत दिशा में है तो यह परिवार के स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। रसोई को सही दिशा में स्थानांतरित करना संभव नहीं है, तो आप चूल्हा को सही दिशा में रखें। चूल्हे को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
बैठने की दिशा
बैठने की दिशा का भी वास्तु में महत्वपूर्ण स्थान है। कार्य या बैठने के लिए पश्चिम और उत्तर की दिशा को सर्वोत्तम माना जाता है। बैठने के दौरान आपका सिर उत्तर या पश्चिम दिशा में होना चाहिए, जिससे मानसिक शांति और एकाग्रता बनी रहती है। आप बैठने का स्थान बदल सकते हैं, तो उसे सही दिशा में व्यवस्थित करें। कार्य करते समय चाय या अन्य पदार्थों का सेवन उत्तर-पूर्व दिशा में करना शुभ माना जाता है।
बाथरूम और टॉयलेट का स्थान
बाथरूम और टॉयलेट का सही स्थान घर में बहुत महत्वपूर्ण होता है। वास्तु के अनुसार बाथरूम और टॉयलेट को घर के उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं बनाना चाहिए। इनका स्थान सही दिशा में होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह नियंत्रित रहता है। यदि बाथरूम का स्थान गलत दिशा में है तो आप उसमें रंग बदलने का प्रयास कर सकते हैं। हल्के रंगों का उपयोग करें और बाथरूम में सुधार के लिए अच्छे वास्तु उपायों का पालन करें।