Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Mar, 2025 09:39 AM

वास्तु शास्त्र प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो घर के प्रत्येक हिस्से की दिशा और उसके प्रभाव को समझने में मदद करता है। इसका उद्देश्य घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करना है
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Vastu Tips: वास्तु शास्त्र प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो घर के प्रत्येक हिस्से की दिशा और उसके प्रभाव को समझने में मदद करता है। इसका उद्देश्य घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करना है। बच्चों का कमरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करता है। बच्चे घर का सबसे अहम हिस्सा होते हैं और उनका स्वास्थ्य, शिक्षा, और मानसिक स्थिति सीधे तौर पर उनके कमरे के वातावरण पर निर्भर करती है। आज आर्टिकल में बात करेंगे कि बच्चों के कमरे में कौन सी 5 चीजें नहीं होनी चाहिए, ताकि उनके विकास और स्वास्थ्य पर वास्तु शास्त्र के अनुसार कोई नकारात्मक असर न पड़े।
शीशे का गलत स्थान पर होना
वास्तु शास्त्र में मिरर या दर्पण का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। बच्चों के कमरे में मिरर का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं किया जाना चाहिए। मिरर का सामना बच्चों के बिस्तर की ओर या उनके सिर की दिशा में नहीं होना चाहिए। रात को सोते समय दर्पण में उनका प्रतिबिंब देखना बच्चों में डर और चिंता पैदा कर सकता है, जिससे उनका मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। वास्तु के अनुसार, मिरर बच्चों के कमरे में केवल उस दिशा में होना चाहिए, जहां वह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सके और किसी प्रकार का भय पैदा न करे। यदि शीशे की स्थिति सही नहीं है, तो यह न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि उनके मानसिक स्थिति को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

अंधेरे और बंद स्थान
बच्चों के कमरे में अंधेरे और बंद स्थानों से बचना चाहिए। अंधेरे कमरे से बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, कमरे में पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी और वेंटिलेशन का होना बेहद जरूरी है। अंधेरे या बंद कमरे में रहने से बच्चों में घबराहट, डर, और मानसिक तनाव हो सकता है, जो उनकी सेहत और विकास के लिए ठीक नहीं है।
पुरानी या टूटी-फूटी वस्तुएं
वास्तु शास्त्र में यह सलाह दी जाती है कि बच्चों के कमरे में पुरानी या टूटी-फूटी चीजें नहीं रखनी चाहिए। यह न केवल बच्चों के कमरे की सुंदरता को घटित करती हैं, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को भी आकर्षित करती हैं। पुराने और टूटे हुए फर्नीचर, खिलौने, दीवारों पर लगे पुराने चित्र या अन्य चीजें कमरे में रखने से कमरे का वातावरण अस्वस्थ और उदासीन हो सकता है। वास्तु के अनुसार, बच्चों के कमरे में स्वच्छता और नयापन जरूरी है। इन पुरानी चीजों से बच्चों को मानसिक रूप से नकारात्मक असर हो सकता है, क्योंकि यह उनके मन में अशांति और उदासी पैदा कर सकती हैं। इसलिए बच्चों के कमरे में हमेशा नये और अच्छे हालत में वस्तुएं रखें, ताकि उनका मानसिक और शारीरिक विकास सही दिशा में हो सके।

रंगों का चयन
बच्चों के कमरे के रंग को हलके और शांतिपूर्ण रखें, जैसे कि हलका नीला, हरा, या पीला। ये रंग बच्चों को शांति और संतुलन प्रदान करते हैं, जिससे उनका मानसिक विकास बेहतर होता है।
बिस्तर की स्थिति
बच्चों का बिस्तर हमेशा कमरे के दक्षिण-पश्चिम दिशा में होना चाहिए ताकि बच्चे अच्छी नींद ले सकें और उनका शारीरिक विकास बेहतर हो।
