Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Mar, 2025 02:27 PM

Vastu tips for conceiving baby: यदि कोई दम्पत्ति निःसंतान है तो उन्हें चाहिए कि वह अपने घर के वास्तु दोष को दूर करें क्योंकि वास्तुदोष के कारण घर में नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। जो संतान प्राप्ति में बाधा पैदा करती है। जो दम्पत्ति निःसंतान है...
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Vastu tips for conceiving baby: यदि कोई दम्पत्ति निःसंतान है तो उन्हें चाहिए कि वह अपने घर के वास्तु दोष को दूर करें क्योंकि वास्तुदोष के कारण घर में नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है। जो संतान प्राप्ति में बाधा पैदा करती है। जो दम्पत्ति निःसंतान है उन्हें मेरी यह सलाह है कि, वे योग्य डॉक्टर से उचित जांच अवश्य कराएं साथ ही घर में जो वास्तुदोष हैं, उन्हें दूर करें ताकि उनकी संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण हो सके।

Vastu remedies for childlessness: संसार के हर स्त्री-पुरुष की विवाह के बाद पहली कामना संतान प्राप्त करने की रहती है परन्तु कई बार देखने में यह आता है कि पति-पत्नी शारीरिक एवं मानसिक रूप से पूर्ण स्वस्थ एवं गर्भाधान के योग्य रहने के बाद भी निःसंतान ही रह जाते हैं। किसी भी दंपत्ति के निःसंतान रहने में भाग्य के साथ-साथ वास्तुदोष भी एक महत्त्वपूर्ण कारण होता है। सामान्यतः नीचे लिखे कुछ वास्तुदोष वंशवृद्धि में बाधा का कारण बनते हैं-
जिस किसी घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में निर्माण कार्य न होने के कारण खुली हुई हो, ईशान कोण में निर्माण होने के कारण घर के ईशान कोण वाले भाग में खुली जगह न हो और उसकी उत्तर और पूर्व दिशा में पड़ोसियों के घर के कारण वहां दरवाजा या खिड़की भी न हो, ऐसे कोने वाले कमरे में जिन दम्पत्ति का बेडरूम होता है उन्हें संतान प्राप्ति में बाधा पैदा होती है।

उत्तर भाग में खाली जगह न हो और अहाते की हद से लगकर घर हो और दक्षिण में खाली जगह हो तो वंशवृद्धि रुक जाती है।
घर अथवा चारदीवारी की ईशान दिशा लुप्त हो जाए तो पुरुष संतान नहीं होगी। यदि हो भी तो विकलांग अथवा पागल बनकर अल्पायु होगी।

यदि किसी दंपति के शयन कक्ष के मुख्य द्वार वाली दीवार और सामने वाली दीवार पर कोई खिड़की न हो परन्तु शयनकक्ष के मुख्य द्वार के दाएं या बाएं वाली किसी एक दीवार पर खिड़की हो वहां सोने वाले दंपत्ति को संतान प्राप्ति में कई सालों का लम्बा विलम्ब हो सकता है।
पश्चिम की ओर ऊंचाई हो, पश्चिम और नैऋत्य के बीच में या पश्चिम और वायव्य के बीच में पश्चिम में किसी भी प्रकार का टैंक, चेम्बर, गड्ढा इत्यादि हो तो वंश वृद्धि नहीं होती। ऐसे घरों में कई बार शादी लायक बच्चों की शादी नहीं होने से वंश वृद्धि रुक जाती है।

पूर्व दिशा का हिस्सा घटकर पूर्वी सीमा पर निर्माण हो, तो उस घर का ज्येष्ठ पुत्र गलत आदतों को शिकार होगा और तीसरी पीढ़ी तक पहुंचते-पहुंचते उसका वंश समाप्त हो जाएगा।
पूर्व उत्तर दिशाएं जुड़ी हो और पड़ोस से घटी हो तो घर के लोग संपत्ति के होने पर भी लावारिस होगें। पुरुष दत्तक लेने पर उसे संतान तो हो सकती है पर उसे पुरुष संतान नहीं होती है।
अगर ईशान कुंचित होता और वायव्य में बढ़ाव होता तो शत्रुओं की संख्या बढ़ जाएगी और संतान हानि होगी। यह हानि जीवित संतान या गर्भ में पल रही संतान की हो सकती है।
वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा
thenebula2001@yahoo.co.in
