Vastu Tips For Ghatasthapana Or Kalash Sthapana: नवरात्रि में कलश स्थापना से पहले इन वास्तु नियमों का रखें ध्यान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Sep, 2024 09:02 AM

vastu tips for ghatasthapana or kalash sthapana

नवरात्रि एक ऐसा पर्व है, जिसे भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है। इस दौरान माता दुर्गा की पूजा का आयोजन किया जाता है।

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Vastu Tips For Ghatasthapana Or Kalash Sthapana 2024: नवरात्रि एक ऐसा पर्व है, जिसे भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है। इस दौरान माता दुर्गा की पूजा का आयोजन किया जाता है। कलश स्थापना इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे करते समय वास्तु शास्त्र के कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। ये नियम न केवल पूजा की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि लाने में भी सहायक होते हैं।

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स्थान का चयन
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले सही स्थान का चयन करना जरूरी है। इसे घर के उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में रखना सबसे शुभ माना जाता है। इस दिशा को सकारात्मकता और समृद्धि का स्रोत माना जाता है। यदि उत्तर-पूर्व दिशा में स्थान उपलब्ध न हो, तो इसे उत्तर या पूर्व दिशा में स्थापित किया जा सकता है।

स्वच्छता
पूजा स्थल की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। इसे अच्छे से साफ करें और अगर संभव हो तो गंगा जल छिड़कें। स्वच्छता से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पूजा का प्रभाव भी बढ़ता है।

कलश की सामग्री
कलश स्थापना में मिट्टी के कलश का उपयोग करना शुभ रहता है। कलश को पानी, अनाज, फल और पूजा की सामग्री से भरें। इसमें नारियल को भी रखें, जो कलश का मुखिया होता है। नारियल को लाल कपड़े में लपेटना और उसे कलश पर स्थापित करना अनिवार्य है।

पूजा सामग्री
कलश के चारों ओर देवी-देवताओं की प्रतिमाएं, चित्र या तस्वीरें रखें। यह ध्यान रखें कि देवी दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा पूजा स्थल के बीच में हो, जिससे उनकी कृपा का अनुभव किया जा सके।

दिशा और आकृति
कलश को इस तरह रखें कि उसका मुख खुला हो, जिससे देवी का आशीर्वाद सीधे मिल सके। कलश का आकार गोलाकार होना चाहिए क्योंकि यह समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक है।

दीपक और धूप
कलश के पास दीपक और धूप लगाना न भूलें। यह न केवल पूजा की शोभा बढ़ाता है, बल्कि वातावरण को शुद्ध और सकारात्मक भी बनाता है।

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समय
कलश स्थापना का समय भी महत्वपूर्ण है। इसे प्रतिपदा तिथि, विशेषकर शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। पंचांग देखकर शुभ समय का निर्धारण करें, ताकि आपकी पूजा का फल अधिकतम मिल सके।

परिवार का योगदान
पूजा में परिवार के सभी सदस्यों को शामिल करें। इससे एकता बढ़ती है और पूजा का पुण्य अधिक होता है। सभी सदस्यों का सहयोग और आस्था पूजा को सफल बनाता है।

नियमित पूजा
कलश स्थापना के बाद नवरात्रि के दिनों में नियमित रूप से पूजा करना जरूरी है। माता की आराधना, भोग और आरती से घर में सुख-समृद्धि का संचार होता है।

समापन
नवरात्रि के अंत में कलश का विसर्जन भी सही तरीके से करना चाहिए। इसे जल में विसर्जित करने से सभी बुराइयों का नाश होता है और घर में शांति आती है।

इन वास्तु नियमों का पालन करके नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना को सफल और फलदायक बनाया जा सकता है। यह न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे घर में सकारात्मकता और खुशहाली भी बनी रहती है।

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