Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Sep, 2024 01:02 AM
श्राद्ध पक्ष, जिसे पितृ पक्ष भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा से अमावस्या तक का
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Vastu Tips For Pitru Paksha 2024: श्राद्ध पक्ष, जिसे पितृ पक्ष भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा से अमावस्या तक का समय होता है। यह समय पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का होता है। इस दौरान तर्पण या श्राद्ध करने के विशेष दिशा निर्देश भी होते हैं, जो वास्तु शास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण होते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, श्राद्ध पक्ष के दौरान तर्पण करते समय उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। इसका कारण यह है कि उत्तर दिशा को पितरों और पूर्वजों की दिशा माना जाता है। उत्तर दिशा में ध्यान केंद्रित करने से पितरों को श्रद्धा और सम्मान का अहसास होता है, जो कि उन्हें आर्शीवाद देने की ओर प्रेरित करता है।
उत्तर दिशा में तर्पण करने का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि उत्तर दिशा की ओर इशारा करते हुए तर्पण करने से पूजा स्थल की पवित्रता बनी रहती है। इस दिशा की ओर मुंह करके तर्पण करने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट होती है। उत्तर दिशा को ज्ञान और समृद्धि की दिशा भी माना जाता है इसलिए इस दिशा की ओर मुंह करके तर्पण करने से पितरों के आशीर्वाद के साथ-साथ पारिवारिक समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, तर्पण करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पूजा स्थल स्वच्छ और पवित्र हो। इसके अलावा, तर्पण के समय सही दिशा का पालन करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और पितर भी अपने संतोष और आशीर्वाद से परिवार को लाभ पहुंचाते हैं। इसलिए उत्तर दिशा की ओर मुंह करके तर्पण करना श्राद्ध पक्ष में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।