Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jun, 2023 07:02 AM
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वासुदेव द्वादशी मनाई जाती है यानि की आज। यह व्रत श्री कृष्ण को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार आज भगवान नारायण और माता लक्ष्मी की
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Vasudev Dwadashi: हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को वासुदेव द्वादशी मनाई जाती है यानि की आज। यह व्रत श्री कृष्ण को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार आज भगवान नारायण और माता लक्ष्मी की पूजा करने का भी विधान है। बता दें की यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से इस व्रत को करता है तो उसके जीवन से समस्त पापों का नाश हो जाता है और संतान प्राप्ति की इच्छा भी जल्द पूरी हो जाती है। वैसे ये व्रत खासतौर पर संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। तो चलिए जानते हैं, कब शुरु होगा मुहूर्त और किस तरह करें पूजा।
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Vasudev Dwadashi Muhurta and Significance वासुदेव द्वादशी मुहूर्त और महत्व: हिंदू मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति सच्चे मन से वासुदेव द्वादशी का व्रत करता है, उसे जीवन में कभी भी दुःख नहीं देखना पड़ता और इसके अलावा जो भी वैवाहिक दंपती संतान की कामना रखता है, उसे ये व्रत जरूर करना चाहिए। यह व्रत देवशयनी एकदशी के एक दिन बाद किया जाता है और इस व्रत को करने से अंत समय में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
30 जून 2023 को प्रातः 2:42 बजे से आषाढ़ मास में द्वादशी का आरंभ हो जाएगा और 1 जुलाई प्रातः 1:17 तक रहेगा।
Why is Vasudev Dwadashi celebrated क्यों मनाई जाती है वासुदेव द्वादशी
धार्मिक कथाओं के अनुसार यह व्रत नारद मुनि द्वारा वासुदेव एवं देवकी को बताया गया था और वासुदेव और माता देवकी ने पूरी आस्था के साथ द्वादशी तिथि को यह व्रत रखा था। इस व्रत के प्रभाव से भगवान श्री कृष्ण उन्हें पुत्र रूप में प्राप्त हुए थे।
Vasudev Dwadashi Puja Method वासुदेव द्वादशी पूजा विधि
आज के दिन नित्यकर्म से निवृत होकर भगवान कृष्ण और देवी लक्ष्मी को प्रणाम करके आशीर्वाद लें। इसके बाद फल, फूल, धूप, दीपक, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही और पंचामृत भगवान को अर्पित करें।
आज के दिन खासतौर पर पूजा के बाद विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें।
Chant these mantras today आज करें इस मंत्र का जाप
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
कम से कम इस मंत्र का 108 बार जाप करें।