Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Jun, 2024 04:04 PM
हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि वट सावित्री के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी
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Vat Savitri Vrat 2024: हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि वट सावित्री के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने का विधान है। कहा जाता है कि बरगद के पेड़ में श्री विष्णु, भगवान शिव और ब्रह्मा जी का वास होता है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं और पति की अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। तो आइए जानते हैं, वट सावित्री व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में-
Vat Savitri fast date and puja time वट सावित्री व्रत तिथि और पूजा मुहूर्त
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर रखा जाता है। पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून की शाम को 5 बजकर 54 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 6 जून 2024 शाम 6 बजकर 07 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए इस साल वट सावित्री व्रत 6 जून को रखा जाएगा।
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त प्रातः 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर होगा।
Importance of Vat Savitri Vrat वट सावित्री व्रत का महत्व
सनातन धर्म में वट सावित्री का बहुत महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन पतिव्रता सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लेकर आई थी। इसी दिन से वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस दिन वट सावित्री व्रत रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
Method of worship of Vat Savitri fast वट सावित्री व्रत की पूजा विधि
वट सावित्री के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
फिर शृंगार करके तैयार हो जाएं और पूजा की सारी सामग्री एक थाली में सजा लें।
अब किसी बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री और सत्सवान की प्रतिमा स्थापित करें।
फिर बरगद के पेड़ की जड़ में पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ व मिठाई आदि चढ़ाएं।
लाल कलावे को बरगद के पेड़ के नीचे सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें।
इसके बाद वट सावित्री की कथा जरूर पढ़ें या सुनें।
अंत में किसी विवाहित महिला को सुहाग सामग्री और फलों का दान करें।