Veer Bal Diwas: वीर बाल दिवस पर जानें, छोटे साहिबजादों के बलिदान की अमर गाथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Dec, 2024 02:29 PM

veer bal diwas

Veer Bal Diwas 2024: दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अत्याचार, अन्याय और अधर्म का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत व शक्तिशाली लहर पैदा की थी। उनसे मात खाने के बाद पहाड़ी राजाओं ने गुरु जी के विरुद्ध औरंगजेब से हाथ मिला लिया और सबने मिलकर श्री...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Veer Bal Diwas 2024: दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अत्याचार, अन्याय और अधर्म का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत व शक्तिशाली लहर पैदा की थी। उनसे मात खाने के बाद पहाड़ी राजाओं ने गुरु जी के विरुद्ध औरंगजेब से हाथ मिला लिया और सबने मिलकर श्री आनंदपुर साहिब को घेरे में ले लिया। गुरु जी ने पांच प्यारों के विनम्रता भरे आदेश पर श्री आनंदपुर साहिब का किला छोड़ दिया। फिर उफनती हुई सरसा नदी पार करते ही एक बड़ा युद्ध हुआ। इसमें दोनों पक्षों की भारी क्षति हुई। 

Veer Bal Diwas

नदी पार करने के बाद दशम पातशाह जी का परिवार दो हिस्सों में बंट गया। दो छोटे साहिबजादे- बाबा जोरावर सिंह जी, बाबा फतेह सिंह जी अपनी दादी मां माता गुजरी जी के साथ एक ओर चले गए तथा बड़े साहिबजादे- बाबा अजीत सिंह जी, बाबा जुझार सिंह जी अपने पिता जी के पास रह गए। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी सरसा नदी को पार कर चमकौर साहिब पहुंच गए, जहां महासंघर्ष शुरू हुआ, जिसमें चालीस सिखों को एक विशाल सेना का सामना करना पड़ा। 

इसी युद्ध में बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह जी और बाबा जुझार सिंह बहादुरी से लड़ते हुए मैदान-ए-जंग में शहादत प्राप्त कर गए। उधर सरहिंद के पास गुरुजी के दो छोटे साहिबजादों ने, जो अभी किशोरावस्था में भी नहीं थे, साहस के साथ जल्लाद की तलवार का सामना किया और धोखे का भी। गंगू, जिसे सरसा नदी पार करने के बाद गुरुजी के छोटे पुत्रों व उनकी दादी मां माता गुजरी जी की जिम्मेदारी दी गई थी, ने उनको धोखा दिया। गंगू ने माता गुजरी का सामान चुरा लिया और विरोध करने पर दूसरों पर दोष मढ़ते हुए अज्ञानता का नाटक किया।

Veer Bal Diwas

गंगू ने गुरुजी के परिवार के बारे में गांव के मुखिया को सूचना दी। महत्वपूर्ण बंधकों को अपने पास रखने के लिए उत्सुक मुखिया ने गुरुजी के इन दो छोटे साहिबजादों और इनकी दादी को हिरासत में ले लिया और अंतत: उन्हें सरहिन्द के नवाब वजीर खान को सौंप दिया। 

जब इन्हें वजीर खान के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया तो इन दोनों साहिबजादों ने साहसपूर्वक ‘वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह’ कहकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। वजीर खान के एक मंत्री ने उन्हें उनके परिवार के भाग्य के बारे में बताया और जीवित रहने के लिए धर्म बदलने की सलाह दी। 

मात्र 7 वर्ष व 9 वर्ष की आयु के साहिबजादों ने जोर देकर कहा कि वे न तो धन चाहते हैं और न ही पद, वे अपनी जान गंवाने को तैयार हैं लेकिन अपना धर्म नहीं। वजीर खान ने उन्हें माता गुजरी जी के साथ ठंडे बुर्ज में बंद करने का आदेश दिया। बाद में दोनों साहिबजादों को जिन्दा दीवार में चिनवा दिया गया। दोनों ने मृत्यु स्वीकार की लेकिन अपने धर्म पर अटल रहे। 

Veer Bal Diwas

एक धनी व्यापारी टोडरमल, जो गुरुजी के प्रति श्रद्धा व आदर रखते थे, ने जब माता गुजरी, जो ठंडे बुर्ज में इस कड़कड़ाती सर्दी में जमीन पर सोने को मजबूर थीं, को यह दुखद समाचार सुनाया तो वह बेहोश व निढाल हो गईं और फिर उबर न पाईं। टोडरमल ने साहिबजादों और माता गुजरी के दाह संस्कार के लिए वजीर खान द्वारा थोपी गई शर्त अनुसार सोने की मोहरों के बदले जमीन खरीदी व सम्मानपूर्वक इन तीनों का दाह संस्कार किया। 

आज भी अनेकानेक सिख शहीदी सप्ताह के इन दिनों में ठंडी जमीन पर सोते हैं तथा मनोरंजक कार्यक्रमों से परहेज करते हैं। मानव इतिहास में गुरु गोबिन्द सिंह जी के साहिबजादों की शहादत का कोई सानी नहीं है। इस अभूतपूर्व शहादत को नमन करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 2022 से प्रत्येक वर्ष 26 दिसम्बर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया, ताकि हमारे देश के बालक, बालिकाएं व युवा साहिबजादों के अदम्य साहस, बलिदान व अभूतपूर्व शहादत से परिचित भी हों और प्रेरित भी। 

Veer Bal Diwas

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!