Edited By Prachi Sharma,Updated: 05 Jan, 2025 08:39 AM
भारत को देवों की भूमि कहा जाता है, जहां अनूठे तथा रहस्यमयी धर्मस्थलों की कोई कमी नहीं है। ऐसी ही एक जगह है कर्नाटक के मैसूर में स्थित वेणुगोपाल मंदिर।
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Venugopala Swamy Temple: भारत को देवों की भूमि कहा जाता है, जहां अनूठे तथा रहस्यमयी धर्मस्थलों की कोई कमी नहीं है। ऐसी ही एक जगह है कर्नाटक के मैसूर में स्थित वेणुगोपाल मंदिर। भगवान श्री कृष्ण को समर्पित यह मंदिर मूल रूप से 12वीं शताब्दी में होयसल राजवंश द्वारा बनाया गया था। कहा जाता है कि यह मंदिर 70 सालों तक पानी में रहा और हर बार जलस्तर गिरने पर यह धीरे-धीरे सतह पर आ जाता था। यह मंदिर, दक्षिण भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। कई साल गुजर जाने के बाद भी यह मंदिर बेहद सुंदर है। यहां भारी संख्या में भक्त हर साल दर्शन करने आते हैं।
मंदिर की वास्तुकला
वेणुगोपाल मंदिर परिसर का विशाल परिसर लगभग 50 एकड़ में फैला हुआ है। परिसर एक ऐसी इमारत है जिसके दो ‘प्राकार’ (कमरों सहित स्तंभों वाला बरामदा) और महाद्वार (बाहरी द्वार के दोनों ओर बरामदा) हैं। ये यज्ञशाला और रसोई से घिरे हुए हैं। इनके बाहर दूसरा महाद्वार है। मंदिर में एक गर्भगृह, एक वस्त्राभूषण, एक मध्य कक्ष और एक मुख्य हॉल है। प्रवेश द्वार के सामने वाले कक्ष में केशव (भगवान श्री कृष्ण) का एक चित्र है और दक्षिण कक्ष में गोपालकृष्ण की आकृति है, जो बाद में जोड़ी गई थी।
सदैव आती है बांसुरी की ध्वनि
यह मंदिर कृष्ण सागर बांध के पास बना हुआ है। वेणु का अर्थ तमिल में बासुंरी होता है। कहते हैं कि इसी जगह भगवान श्री कृष्ण गायों के झुंड के साथ बांसुरी बजाते थे। खास बात है कि आज भी इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन सुनी जाती है। यह ध्वनि कहां से आती है, आज तक कोई पता नहीं लगा पाया।
पहले कन्नमबाड़ी में स्थित था मंदिर
वर्ष 1909 में सर एम. विश्वेश्वरैया द्वारा कृष्ण सागर बांध परियोजना की कल्पना की गई थी, तब यह मंदिर परिसर कन्नमबाड़ी में स्थित था। बांध परियोजना के पूरा होने पर कन्नमबाड़ी गांव और इसके आसपास की अन्य बस्तियां जलमग्न होने की पूरी संभावना थी। तब मैसूर के तत्कालीन राजा कृष्ण वाडियार चतुर्थ ने कन्नमबाड़ी के निवासियों के लिए एक नए गांव के निर्माण का आदेश दिया था और इसे होसा कन्नमबाड़ी यानी नया कन्नमबाड़ी नाम दिया गया। बांध बनने के बाद यह मंदिर पानी में डूब गया। खास बात है कि 70 सालों तक पानी में डूबे रहने के बाद भी यह मंदिर वैसे का वैसा ही रहा।
खोडे फाऊंडेशन ने फिर से कराया जीर्णोद्धार
इसके बाद खोडे फाऊंडेशन ने मंदिर को कन्नमबाड़ी गांव में स्थानांतरित करने और पुनस्र्थापित करने का कार्य अपने हाथ में लिया। दिसम्बर 2011 तक मंदिर का जीर्णोद्धार पूरा हो चुका था। मंदिर में मई के महीने में बड़े ही धूमधाम से रथ महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
कैसे पहुंचें
वेणुगोपाल मंदिर कर्नाटक के होसा कन्नमबाड़ी गांव में स्थित है। आप यहां बेंगलूर से 3 घंटे की ड्राइव से पहुंच सकते हैं। इसके अलावा कृष्ण सागर बांध के पास बने प्रसिद्ध वृंदावन गार्डन से यह 9 कि.मी. और मैसूर शहर से 30 कि.मी. दूरी पर स्थित है। आप निजी साधन या टैक्सी और कैब से यहां पहुंच सकते हैं। मंदिर और डैम में एंट्री के लिए लोगों को एंट्री फीस देनी पड़ती है।