Dussehra: ये है विजयदशमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Oct, 2024 08:56 AM

vijayadashami

Dussehra and Vijayadashami 2024: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला विजयदशमी सनातन संस्कृति का प्रमुख त्यौहार है। इस पर्व को भगवान श्री राम की विजय के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन उन्होंने लंकापति नरेश रावण का वध किया...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Dussehra and Vijayadashami 2024: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला विजयदशमी सनातन संस्कृति का प्रमुख त्यौहार है। इस पर्व को भगवान श्री राम की विजय के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन उन्होंने लंकापति नरेश रावण का वध किया था। श्री राम द्वारा लंका विजय भारत का सबसे बड़ा पराक्रम माना जाता है। उनकी विजय यात्रा इसी दिन आरंभ हुई इसलिए सम्पूर्ण भारतवासियों के लिए यह दिन विजय मुहूर्त बन गया। यह पर्व भारतीय संस्कृति में समावेशित वीरता, पराक्रम तथा शौर्य का उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता तथा शौर्य प्रकट हो इसलिए दशहरे के उत्सव का विधान किया गया। विजयदशमी का पर्व क्षत्रियों की विजय शौर्य का त्यौहार है। यह शक्ति पूजा का पर्व है।

PunjabKesari Vijayadashami

Dussehra Puja shubh muhurat दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, दशहरा पूजा के शुभ मुहूर्त की शुरुआत दोपहर 2 बजकर 3 मिनट से लेकर 2 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इसके हिसाब से इस साल पूजा करने के लिए 46 मिनट का समय मिलेगा।

Vijayadashami: विजयदशमी पर कुछ खास उपाय कर लिए जाएं तो विजय श्री हर कदम पर चूमेगी आपके कदम

Vijayadashami Upay: दशहरे पर अपराजिता के फूलों से किए गए ये उपाय, आपके जीवन से मानसिक और शारीरिक परेशानी करेंगे दूर 

Vijayadashami: विजयदशमी पर कुछ खास उपाय कर लिए जाएं तो विजय श्री हर कदम पर चूमेगी आपके कदम

PunjabKesari Vijayadashami

Dussehra Puja Materials दशहरा पूजन सामग्री
दशहरा पूजन करने के लिए गाय का गोबर, दीपक धुप व बत्ती, जनेऊ, रोली, मोली, चावल कुमकुम और चन्दन।

PunjabKesari

Dussehra Puja Vidhi दशहरा पूजा विधि
अभिजीत मुहूर्त में विजयदशमी की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। हमेशा ईशान कोण में दशहरा पूजन करें।
पूजा स्थान को पहले गंगा जल से पवित्र करें।
इसके बाद कमल की पंखुड़ियों से अष्टदल बनाएं।
इसमें देवी अपराजिता से सुख-समृद्धि की मनोकामना करें।
इसके बाद भगवान श्रीराम और हनुमान जी की पूजा-अर्चना कर उन्हें भोग लगाएं।
पूजा पूर्ण होने से पूर्व माता की आरती और भोग लगाकर इसे प्रसाद के रूप में बांटें।

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी 
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य 
सम्पर्क सूत्र:- 9005804317

PunjabKesari Dussehra

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!