Edited By Sarita Thapa,Updated: 06 Mar, 2025 12:06 PM
नवसंवत यानी कि भारत का नया साल अंग्रेजों का नया साल तो 1 जनवरी से शुरू हो गया था था लेकिन हमारा साल अभी आने वाला है। सनातन परंपरा में नए साल की शुरुआत नवसंवत से होती है और 29 मार्च शाम 4 बजकर 28 मिनट नवसंवत शुरू होने जा रहा है।
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नवसंवत यानी कि भारत का नया साल अंग्रेजों का नया साल तो 1 जनवरी से शुरू हो गया था था लेकिन हमारा साल अभी आने वाला है। सनातन परंपरा में नए साल की शुरुआत नवसंवत से होती है और 29 मार्च शाम 4 बजकर 28 मिनट नवसंवत शुरू होने जा रहा है। इस समय पर चैत्र मास की अमावस्या समाप्त होगी और प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाएगी। लिहाजा नवसंवत की शुरुआत अगले दिन यानी कि 30 मार्च से मानी जाएगी और विक्रमी संवत 2028 शुरू हो जाएगा। यह अगले साल 10 मार्च तक चलेगा। इस नए साल की यानी कि नवसंवत की जो कुंडली है वो बताती है कि ईरान दुनिया के लिए संकट के तौर पर उभरेगा। इस साल वर्ष प्रवेश कुंडली औरजगत अन कुंडली बन रही है। पहले बात करते हैं नववर्ष कुंडली की तो नववर्ष जो नयासंवत है उसकी कुंडली आपके सामने है। इस संवत का नाम सिद्धार्थी संवत है। इस कुंडली में लगन निकला है सिंह और लगन के स्वामी हैं सूर्य। कुंडली में चंद्रमा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में है मीन राशि में है। लगन का स्वामी सूर्य अष्टम भाव में है। बुध, शुक्र, राहु और चंद्रमा के साथ है। इसी दिन यानी कि 29 मार्च रात को ही सूर्य ग्रहण लगेगा हालांकि भारत में नहीं लगेगा। लेकिन शनि जो है, वो इसी समय लगभग मीन राशि में आ जाएंगे और यहां पर पांच ग्रहों का योग बन जाएगा। यह योग 13 अप्रैल तक रहेगा।
सूर्य राशि परिवर्तन जब करेंगे तब यह योग टूटेगा। अष्टम भाव से अचानक दुर्घटना और प्राकृतिक आपता देखी जाती है। युद्ध और राष्ट्रीय स्तर पर चढ़ने वाला कर्ज भी इसी भाव से देखा जाएगा। लिहाजा भारत सहित पूरी दुनिया की ताकत प्राकृतिक आपदाओं और युद्ध जैसी स्थितियों से निपटने में लगी रहेगी। इस दौरान गुरु के वृषभ राशि में रहने के कारण विश्व राजनीति में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी और सिंह लगन में वर्ष प्रवेश के कारण दक्षिण दिशा में बाड़ आदि जैसी प्राकृतिक घटनाओं का प्रभाव आ सकता है। जबकि पश्चिम को महंगाई से जूझना पड़ेगा। सूर्य के संवत के राजा होने के कारण इस साल सत्ता पक्ष मनमाने फैसले करेगा। जिससे जनता में आक्रोश बढ़ेगा। इस साल जो संवत शुरू हुआ है। उसका दुनिया के ऊपर प्रभाव कैसा रहेगा। जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस समय विशाख संक्रांति की शुरुआत होती है और उसी समय एक कुंडली बनती है। इसे जगत कुंडली भी कहा जाता है। इस साल सूर्य 13 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 27 मिनट पर मेष राशि में प्रवेश करेंगे और इससे बनेगी कुंभ लग्न की जगत कुंडली। इसमें लगन के स्वामी बनते हैं शनि और वह धन भाव में बुध, शुक्र, राहु के साथ चतुर ग्रही योग बना रहे है। मंगल जो शत्रु का ग्रह होता है। वहां पर बैठकर अष्टम दृष्टि से देख रहे हैं। गुरु इस कुंडली में शत्रु राशि में वृषभ भाव में विराजमान है और वृषभ राशि ईरान की प्रभाव राशि है। इस पर शनि और केतु की दृष्टि होने के कारण ईरान दुनिया भर में संकट पैदा करने वाले देश के रूप में उभर सकता है। ईरान अपने सभी प्रॉक्सी जितने भी उसके प्रॉक्सीस हैं उनको इजराइल के खिलाफ मैदान में उतारेगा। इससे दुनिया भर में इस्लामिक कट्टरवाद उठा सकता है। इससे निपटने के लिए कई बड़े देश ईरान के खिलाफ खड़े होंगे। खासतौर पर यूरोप और अमेरिका।
इस कुंडली के अष्टम भाव पर केतु राहु का और शनि का प्रभाव है। यह भाव अष्टम भाव होता है। यह प्राकृतिक आपदाओं के अलावा युद्ध का भी भाव होता है। ग्रह स्थिति ईरान में बड़े संकट का संकेत दे रही है। परमाणु संपन्न ईरान की चुनौती से निपटने के लिए यूरोप और तमाम पश्चिमी देशों के जितने भी प्रयास होंगे। एकजुट होने की रणनीति उनको बनानी पड़ेगी और यह प्रयास करने पड़ेंगे। लेकिन हो सकता है कि यह रणनीति भी नाकाफी साबित हो जाए। जगत आर्गन की कुंडली जो है उसका धन भाव पीड़ित हो गया। क्योंकि दूसरे भाव में बहुत सारे ग्रह आ गए हैं। इससे यह हो सकता है कि करेंसी वार शुरू हो सकती है जिसका सबसे अधिक असर यूरोप में देखने को मिलेगा अल्टीमेटली जब दुनिया में करंसी वार शुरू होती है। इसका अल्टीमेटली भारत के ऊपर भी असर आएगा। क्योंकि हम ग्लोबल वर्ल्ड में रहते हैं। संवत की शुरुआत रविवार के दिन होने से साल का राजा सूर्य होगा और इस साल सूर्य का मेष राशि में प्रवेश भी रविवार को होने जा रहा है। लिहाजा इस साल का मंत्री भी सूर्य ही होगा। हर साल सूर्य जब राहु के आर्द्र नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो उस समय एक कुंडली बनती है जिसे हम आर्द्रा प्रवेश कुंडली कहते हैं। इस कुंडली से मौसम का आकलन किया जाता है। सूर्य 22 जून को आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और इस दिन भी रविवार है यानी मेघे का पोर्टफोलियो भी इस साल सूर्य के पास ही है।
हिंदू कैलेंडर के हिसाब से हर साल स्टार्स की एक कैबिनेट बनती है। जिसमें मेजर पोर्टफोलियो सूर्य के पास आ रहे हैं यानी कि तीन इंपॉर्टेंट मिनिस्ट्री सूर्य के पास है। राजा भी सूर्य है, मंत्री भी सूर्य है और मेघे भी सूर्य ही है। सूर्य चूंकि शुष्क ग्रह है और राजा और मंत्री होने के साथ मेघे का प्रभाव भी सूर्य के पास है। लिहाजा इस साल मानसून सामान्य नहीं रहेगा और देश के कुछ इलाके सूखे की चपेट में आ सकते हैं। इससे फसलों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। जिससे महंगाई बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर नजर आएगा। सूर्य के प्रभाव के कारण राजसिक वृत्तियां यानी कि जो प्रवृत्ति होती है। वह अधिक बढ़ जाएगी। शासन-प्रशासन में आपसी टकराव बढ़ेगा। सूर्य के प्रभाव के कारण इस साल सर्दी भी कम पड़ेगी और वैश्विक तापमान जिसको हम ग्लोबल वार्मिंग का नाम दे रहे हैं, वो थोड़ा सा बढ़ता हुआ नजर आएगा। सूर्य के प्रभाव के कारण ही जंगलों में आग लगने की घटनाएं होंगी। बड़े-बड़े अग्निकांड इस साल ज्यादा हो सकते हैं। सूर्य के ही राजा और मंत्री होने के कारण इस साल केंद्र और राज्य सरकारों के मध्य टकराव भी बढ़ता हुआ नजर आएगा। सूर्य का मतलब होता है सत्ता, डिसिप्लिन, स्वास्थ्य लेकिन सूर्य का ही मतलब होता है अहंकार भी आ जाना। इस साल अनुशासन का साल है, जो भी जातक इस साल सूर्य की तरह अनुशासन में रहेंगे। उन्हें सफलता मिलनी निश्चित है और जो जातक अनुशासन तोड़ देंगे अनुशासन में नहीं रहेंगे उनका नाकाम होना भी उतना ही निश्चित है।
उपाय- यदि आपकी कुंडली में सूर्य की पोजीशन वीक है। सूर्य आपके राहु-केतु एक्सेस में है 6, 8,12 में पड़े हुए हैं यानी कि छठे, आठवे 12वें भाव में पड़े हुए हैं या सूर्य शनि, मंगल के साथ है, तो सूर्य आपके पीड़ित है। यदि आपके सूर्य पीड़ित है, सूर्य के ओम भास्करा नमः यह बीज मंत्र का जाप करें। सुबह उठकर सूर्य को जल दीजिए और सूर्य नमस्कार की एक्सरसाइज करें। सूर्य के दान के तौर पर गुड़ का दान, गेहूं का दान कर सकते हैं। सूर्य का यह उपाय आपको निश्चित तौर पर अच्छे परिणाम देगा।