Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Sep, 2024 10:09 AM
माना जाता है कि महात्मा गांधी के जीवन में अध्यात्म का बहुत अधिक महत्व था। वही अध्यात्म जिससे सत्याग्रह का महान विचार निकला था। महात्मा गांधी की आध्यात्मिक विरासत का अगर कोई सच्चा वारिस था तो वह
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Vinoba Bhave Birth Anniversary 2024: माना जाता है कि महात्मा गांधी के जीवन में अध्यात्म का बहुत अधिक महत्व था। वही अध्यात्म जिससे सत्याग्रह का महान विचार निकला था। महात्मा गांधी की आध्यात्मिक विरासत का अगर कोई सच्चा वारिस था तो वह विनोबा भावे ही थे जिनका जन्म 11 सितम्बर, 1895 को महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में गगोदा गांव में हुआ था। उनका नाम विनायक नरहरि भावे था। विनोबा न सिर्फ स्वतंत्रता सेनानी बल्कि सामाजिक कार्यकर्ता और प्रसिद्ध गांधीवादी नेता भी थे, जिन्होंने देश में भूदान आंदोलन का आधार रखा। गांधी जी ने उनकी लगन देखकर ही उन्हें वर्धा आश्रम की जिम्मेदारी सौंपी थी। साल 1940 तक विनोबा भावे को कम ही लोग जानते थे लेकिन 5 अक्तूबर, 1940 को महात्मा गांधी ने उनका परिचय राष्ट्र से कराया। गांधी जी ने एक बयान जारी किया और उनको पहला सत्याग्रही बताया।
भावे पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन के लिए चुना था। महात्मा गांधी के प्रभाव के कारण ही विनोबा भावे ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और वह असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। विनोबा भावे की स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी से ब्रिटिश शासन क्रोधित हो उठा और उन पर ब्रिटिश शासन का विरोध करने का आरोप लगाया गया।
सरकार ने उनको 6 महीने के लिए धुलिया जेल भेज दिया जहां उन्होंने कैदियों को मराठी में भगवद् गीता के विभिन्न विषयों को पढ़ाया। इतना ही नहीं, वह खुद भी चरखा कातते और दूसरों से भी ऐसा करने की अपील करते थे। कम्युनिटी लीडरशिप के लिए उन्हें रेमन मैग्सेस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और वह यह पुरस्कार जीतने वाले पहले व्यक्ति थे।
उन्हें संस्कृत, कन्नड़, उर्दू और मराठी समेत करीब 7 भाषाओं का ज्ञान था। उन्होंने कहा था कि जो खुद पर काबू पा लेता है वह दुनिया पर काबू पा सकता है।
वह गांधी जी के एक ऐसे आदर्श शिष्य थे जो अपने देखभाल पूर्ण व्यवहार और त्याग व सेवा की भावना के साथ भारतीयता के सार थे। गांधी जी की तरह ही वह बिना जबरदस्ती, बिना हिंसा के भूदान आंदोलन के जरिए बदलाव लाए और साबित किया कि लोगों की सक्रिय भागीदारी से सकारात्मक, दीर्घकालिक बदलाव लाए जा सकते हैं।
विनोबा जी ने 14 साल में 70,000 किलोमीटर लम्बी यात्रा की और इस क्रम में भूमिहीन किसानों के लिए 42 लाख एकड़ जमीन दान दी गई। पोचमपैल्ली के श्री वेदिरेराम चंद्र रेड्डी ऐसे पहले शख्स थे जिन्होंने विनोबा जी के आह्वान पर उन्हें 100 एकड़ जमीन दान में दे दी थी।
उनका सर्वोदय आंदोलन और ग्रामदान अवधारणा ग्राम पुननिर्माण और ग्रामीण उत्थान, गांधीवादी आदर्श का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह गांवों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए एक सहकारिता प्रणाली थी। आने वाली पीढ़ियां एक बेहतर जिंदगी जी सकें, इसलिए उन्होंने किताबें लिखीं, आश्रम खोले मूल्य गढ़े।
1918 में विनोबा भावे को याद करते हुए महात्मा गांधी ने लिखा, ‘‘मुझे नहीं पता कि आपकी प्रशंसा कैसे करूं। आपका प्यार और आपका चरित्र मुझे आकर्षित करता है और आपका आत्म मूल्यांकन भी, इसलिए मैं आपके मूल्य को मापने के लिए उपयुक्त नहीं हूं।’’