Edited By Prachi Sharma,Updated: 30 Jan, 2025 07:38 AM
आस्था के महाआयोजनों में वी.आई.पी कल्चर एक बड़ी समस्या बन गया है। अधिकारी और प्रशासन अतिविशिष्ट लोगों की सेवा में जुट जाता है और अपार भीड़ पर जितना ध्यान होना चाहिए
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VIP darshan in temples: आस्था के महाआयोजनों में वी.आई.पी कल्चर एक बड़ी समस्या बन गया है। अधिकारी और प्रशासन अतिविशिष्ट लोगों की सेवा में जुट जाता है और अपार भीड़ पर जितना ध्यान होना चाहिए, नहीं हो पाता। मंगलवार को ही बुधवार को मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के लिए 10 करोड़ लोगों के पहुंचने का अनुमान प्रशासन लगा रहा था। करीब पांच करोड़ लोगों के मंगलवार को ही स्नान कर लेने का दावा भी किया गया। वो भी तब जब 8-10 किलोमीटर तक चलकर संगम के निकट पहुंचे लोगों को कुछ पीपा पुल बंद होने की बात कहकर लौटा दिया जा रहा था।
अब यह साफ है कि भीड़ प्रबंधन के लिए हमें अब भी बहुत कुछ सीखना है, खास तौर से तब जब हम भीड़ को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं और बहुत कुछ इंतजाम भी करते हैं। लेकिन अगर एक जगह कड़ी टूटे तो उसे संभालने में और विशेषज्ञता से काम लेना और सीखना होगा। इस महाकुंभ में बहुत सारे और सराहनीय इंतजाम किए गए। श्रद्धालु भी खूब तारीफ करते रहे लेकिन एक घटना से बात तो बिगड़ ही जाती है। जिसके परिजन चले गए, उन पर तो दुखों का पहाड़ गिर ही गया। लेकिन यह भी सच है कि इस महाकुंभ में अतिविशिष्ट लोगों के लिए जो कुछ अतिविशिष्ट व्यवस्थाएं की गईं, उससे आम आदमी को जो और व्यवस्था हो सकती थी, उसमें कुछेक तो कमी रह ही गई। अतिविशिष्ट लोगों को ऐसे आयोजनों से दूर रहना चाहिए और अगर वे जाना ही चाहते हों, तो आम आदमी की तरह गठरी लेकर जाएं, 12 किलोमीटर पैदल चलें। ईश्वर ने उन्हें बहुत दिया है, इतने में ही संतोष करें। संगम स्नान आम आदमी के लिए भी छोड़ दें। विशेष सुविधाएं सिर्फ आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं के लिए हो।