Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Sep, 2024 08:42 AM
विश्वकर्मा भगवान को सृष्टि के वास्तुकार और प्रथम शिल्पकार कहा गया है। सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा को बहुत खास और महत्वपू
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Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा भगवान को सृष्टि के वास्तुकार और प्रथम शिल्पकार कहा गया है। सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा की पूजा को बहुत खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। इन्हें एक तरह से सृष्टि का पहला इंजिनियर भी कहा जाता है।विश्वकर्मा जयंती के दिन इनकी बहुत ही धूम-धाम से पूजा की जाती है। इस दिन खासतौर पर कारीगर अपने उपकरणों, मशीनों आदि की पूजा करते हैं। माना जाता है कि इनकी अराधना करने से कारोबार में तरक्की और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल में देवी-देवताओं के औजार, अस्त्र-शस्त्रों और भवनों का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा द्वारा किया जाता था। तो आइए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा में कौन सी चीजें शामिल करनी चाहिए, जिससे जीवन में खुशहाली और कारोबार में तरक्की मिलती रहे।
Include these things in Vishwakarma Puja विश्वकर्मा पूजा में जरूर शामिल करें ये चीजें
विश्वकर्मा पूजा में सुपारी, रोली, पीला अष्टगंध चंदन, हल्दी, लौंग, मौली, लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, मिट्टी का कलश, नवग्रह समिधा, जनेऊ, इलायची, इत्र, सूखा गोला, जटा वाला नारियल, धूप बत्ती, अक्षत, धूप, फल, मिठाई, बत्ती, कपूर, देसी घी, हवन कुण्ड, आम की लकड़ी, दही, फूल पूजन सामग्री में शामिल करें।
Vishwakarma puja method विश्वकर्मा पूजा विधि
विश्वकर्मा पूजा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है, जो विशेष रूप से कारीगरों, शिल्पकारों और मजदूरों द्वारा मनाई जाती है। इस दिन लोग अपने कामकाजी उपकरणों, यंत्रों और मशीनों को साफ कर के उन्हें पूजा के लिए सजाते हैं। पूजा स्थल पर विश्वकर्मा देवता की प्रतिमा या चित्र को स्थापित किया जाता है। फिर, दीपक, फूल, अक्षत (साबुत चावल) और नैवेद्य (भोग) अर्पित किए जाते हैं। विशेष मंत्रों का जाप कर देवता से समृद्धि और सुरक्षा की प्रार्थना की जाती है। पूजा के अंत में, यंत्रों को सम्मानपूर्वक रखा जाता है और मिठाइयों का वितरण होता है।
विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। अब पूजा स्थान पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित करें और पूजा करें। विश्वकर्मा जी को हल्दी, अक्षत, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, दीप और रक्षा सूत्र अर्पित करें।
इसके बाद विश्वकर्मा चालीसा का पाठ और मंत्रों का जाप करें। अब विश्वकर्मा जी को मिठाई का भोग लगाएं और आरती करें। अंत में भोग लगाया गया प्रसाद सभी में बांट दें।