Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 May, 2024 08:35 AM
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को संक्रांति कहा जाता है। पूरे साल में 12 संक्रांतियां होती है। हर एक संक्रांति का एक अलग महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य 14 मई
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Vrishabha Sankranti: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को संक्रांति कहा जाता है। पूरे साल में 12 संक्रांतियां होती है। हर एक संक्रांति का एक अलग महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य 14 मई को वृषभ राशि में गोचर करेंगे, जिस वजह से इसे वृषभ संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस दिन सूर्य की विधि-विधान और मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है और मन की हर मनोकामना पूरी होती है। तो आइए पढ़ते हैं सूर्य देव को समर्पित प्रभावशाली स्तोत्र पूजा विधि और लाभ।
Surya Stotra on Vrishabha Sankranti वृषभ संक्रांति पर करें सूर्य स्तोत्र का पाठ
प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यंरूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषी ।
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यचिन्त्यरूपम् ।।1।।
प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाऽमनोभि ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैनतमर्चितं च ।
वृष्टि प्रमोचन विनिग्रह हेतुभूतं त्रैलोक्य पालनपरंत्रिगुणात्मकं च।।2।।
प्रातर्भजामि सवितारमनन्तशक्तिं पापौघशत्रुभयरोगहरं परं चं ।
तं सर्वलोककनाकात्मककालमूर्ति गोकण्ठबंधन विमोचनमादिदेवम् ।।3।।
ॐ चित्रं देवानामुदगादनीकं चक्षुर्मित्रस्य वरुणस्याग्ने: ।
आप्रा धावाप्रथिवी अन्तरिक्षं सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्र्व ।।4।।
सूर्यो देवीमुषसं रोचमानां मत्योन योषामभ्येति पश्र्वात् ।
यत्रा नरो देवयन्तो युगानि वितन्वते प्रति भद्राय भद्रम् ।।5।।
Benefits of Surya Stotra on Vrishabha Sankranti वृषभ संक्रांति पर सूर्य स्तोत्र का लाभ
शास्त्रों के अनुसार, संक्रांति और रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करने और सूर्य स्तोत्र का पाठ करने से मन की हर मनोकामाना पूरी होती है और हर काम में सफलता मिलती है। सूर्य स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा मिलता है। साथ ही व्यापार में मनचाही सफलता मिलती है।
Method of reciting Surya Stotra on Vrishabha Sankranti वृषभ संक्रांति पर सूर्य स्तोत्र पाठ विधि
संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्य देव को तांबे के लौटे में पानी भरकर अर्घ्य दें।
अर्घ्य देने के साथ ही सूर्य देव के मंत्रों का जाप करें।
फिर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं।
अंत में गणेश जी की पूजा करें और सूर्य स्तोत्र का पाठ करें।