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Guru Purnima 2023: व्यास पूर्णिमा के दिन जब श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज अपने पंच भौतिक शरीर में दिल्ली में विराजमान थे, जिस स्थान पर वह ठहरे हुए थे अनेक राम भक्त अनुयायी श्रद्धालु बादाम, मिश्री आदि द्रव्य लेकर स्वामी जी के पास आ गए। श्री स्वामी सत्यानंद जी नियत समय पर अपने कमरे से बाहर पधारे और यह देखकर प्रसन्न नहीं हुए। कहने लग,‘‘यह द्रव्य मिश्री बादाम आदि कौन लाया है?’’
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सब मौन थे। महाराज ने सबसे वचन लिया कि,‘‘आगे से कोई भी कोई वस्तु मेरे लिए इस तरह लेकर नहीं आनी होगी। इस द्रव्य के अधिकारी आपके वृद्ध माता-पिता हैं, आपके बाल बच्चे हैं, मैं तो सूखी रोटी खाने वाला फकीर हूं।’’
स्वामी जी रिद्धियों-सिद्धियों के स्वामी होते हुए भी अपने आपको सदैव सेवक ही कहा करते। उनके उत्तराधिकारी ब्रह्मलीन श्री प्रेम जी महाराज ने भी यही प्रथा आगे चलाई तथा किसी से भी छोटी इलायची का दाना लेना भी वह स्वीकार नहीं किया। स्वामी सत्यानंद जी कहा करते कि यह पर्व भगवान वेद व्यास जी को नमस्कार करने का है। स्वयं भी नम्रतापूर्वक वह वेद व्यास जी को नमन करते।
वह कहा करते थे कि व्यास पूर्णिमा के महापर्व पर हम सबका परम कर्तव्य है कि उस परम प्रभु के चरणों को नमन करें और हमारे शास्त्रों में धर्म ग्रंथों में बताए मार्ग का अनुसरण करें। स्वामी जी ने कहा कि गुरु रास्ता दिखाने वाला होता है, मंजिल नहीं। सबकी मंजिल उस ईश्वर की प्राप्ति होनी चाहिए। अगर कोई कहे कि गुरु तो भगवान के समान है, तो गुरु महाराज इसे अच्छा नहीं मानते थे।