Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Jul, 2024 11:18 AM
राम प्रसाद बिस्मिल देश के प्रमुख क्रांतिकारी थे। एक बार किसी बात पर विवाद हो जाने से राम प्रसाद बिस्मिल की कुछ लोगों ने हत्या करने का प्रयास
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राम प्रसाद बिस्मिल देश के प्रमुख क्रांतिकारी थे। एक बार किसी बात पर विवाद हो जाने से राम प्रसाद बिस्मिल की कुछ लोगों ने हत्या करने का प्रयास किया लेकिन वह सौभाग्य से बच गए। राम प्रसाद बिस्मिल अपनी हत्या का प्रयास करने वाले लोगों को भूले नहीं लेकिन वह इसका बदला न ले पाए। इस बात का उन्हें प्रतिपल मलाल रहता था।
वह बदला लेने की ठान चुके थे। एक-दो बार वे इसके लिए गए भी किन्तु सफलता नहीं मिली। मन में हर समय मंथन चलता रहता था। इसी चिंता में वे बीमार पड़ गए। उन्हें बुखार रहने लगा। कई महीनों तक इलाज किए जाने पर भी ठीक नहीं हो पाए। उनकी मां इस रोग का कारण समझ गईं। उन्होंने बिस्मिल से पूछा, ‘‘तो बिस्मिल ने मां को सच-सच बता दिया। मां समझ चुकी थीं कि प्रतिशोध की प्रबल भावना ने रोग का रूप धारण कर लिया है।
मां ने आज्ञा दी और बोली, ‘‘बेटा प्रतिज्ञा करो कि तुम उन लोगों से बदला नहीं लोगे जिन्होंने तुम्हारी हत्या का प्रयास किया था।’’
इस पर राम प्रसाद ने आनाकानी की तो मां फिर से बोली, ‘‘तुम इसे मातृ ऋण ही समझ लो और इसे चुकाने के लिए तुम्हें एक प्रतिज्ञा करनी होगी। बोलो - क्या तुम इस ऋण को नहीं चुकाओगे?’’
इस पर रामप्रसाद बिस्मिल ने कहा, ‘‘मैं बदला लेने की प्रतिज्ञा कर चुका हूं।’’ मां भी अपनी बात पर अड़ गई।
रामप्रसाद सच्चे आर्य समाजी थे। मातृ ऋण से उऋण होना उनका धर्म था। मां खुद अपना ऋण चुकाने के लिए उनसे कुछ मांग रही थी। अंतत: उन्हें बदले का प्रण भंग करना पड़ा और मां के सामने प्रतिज्ञा करनी पड़ी कि वे उन लोगों से बदला नहीं लेंगे। उस दिन से उनका ज्वार कुछ कम होने लगा तथा कुछ ही दिन में वे पूर्ण स्वस्थ हो गए। वह इस बात को पूरी तरह समझ चुके थे कि जिंदगी में सबसे बड़ा एहसान माता का ही होता है।