Edited By Jyoti,Updated: 14 Sep, 2022 02:40 PM
अंग्रेजी मास के अनुसार तो ये सिंतबर का नौवां मास चल रहा है, परंतु हिंदू वर्ष के अनुसार भाद्रपद मास के समापन के बाद अब हिंदू वर्ष का सातंवा महीना जिसे आश्विन मास के नाम से जाना जाता है प्रांरभ हो गया है। बता दें आश्विन मास 11 सितंबर से शुरू हो चुका...
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अंग्रेजी मास के अनुसार तो ये सिंतबर का नौवां मास चल रहा है, परंतु हिंदू वर्ष के अनुसार भाद्रपद मास के समापन के बाद अब हिंदू वर्ष का सातंवा महीना जिसे आश्विन मास के नाम से जाना जाता है प्रांरभ हो गया है। बता दें आश्विन मास 11 सितंबर से शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म के ग्रंथों व शास्त्रों के अनुसार ये मास देवी दुर्गा को समर्पित है। तो वहीं ज्योतिष किंवदंति के अनुसार इस मास में सूर्य धीरे-धीरे कमजोर होने लगते हैं, शनि व तमस का प्रभाव अधिक हो जाता है। ज्योतिष विशेषज्ञ बताते है कि इस मास में शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इस वर्ष आश्विन मास 11 सितंबर दिन रविवार से प्रारंभ हुआ है जो 09 अक्टूबर को समाप्त होगा। ऐसे में इस दौरान किन सावधानियाें का ध्यान रखना चाहिए, आइए जानते हैं-
सबसे पहले जानते हैं कि इस मास में कौन से देवी-देवताओं की पूजा की जाती है-
हिंदू धर्म के ग्रंथों व शास्त्रों में किए वर्णन के अनुसार आश्विन मास को दो भागों में बांटा गया है। इसके कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है, जिस दौरान लोग अपने पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म कांड करते हैं। तो वहीं दूसरी और शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि कहते हैं। इसमें पूरे नौ दिन तक लोग देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजन व व्रत करते हैं। कहा जाता है कि जहां एक तरफ पितरों की आत्मा को तृप्त कर आशीर्वाद प्राप्त किया जाता हो वहीं दूसरी ओर देवी दुर्गा से मनोवांछित फलों की प्राप्ति का वरदान मिलता है। बता दें पितृपक्ष 10 सितंबर से 25 सितंबर तक रहेंगे, जबकि शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से प्रारंभ होंगे और 04 अक्टूबर को समाप्त होंगे।
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इन बातों का रखें ध्यान-
कहा जाता है इस मास में हर व्यक्ति को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार इस मास में दूध का प्रयोग करना वर्जित होता है। जहां तक संभव हो सके इस दौरान करेला खाने से बचना चाहिए। आश्विन के महीने में जितना हो सके अपने शरीर को ढक कर रखें। आश्विन में बैंगन, मूली, मसूर की दाल, चना आदि का सेवन करना भी हानिकारक माना जाता है। इस मास में प्याज-लहसुन या तामसिक भोजन की जगह सात्विक खाने पर अधिक जोर देना चाहिए।
कैसे करें पूजा-पाठ-
बताया जाता है इस मास में सूर्य देव की उपासना अधिक लाभकारी मानी जाती है। कृष्ण पक्ष में पितरों की उपासना की जाने अधिक आवश्यक व लाभकारी मानी होती है। इस मास में दान-धर्म के अधिक कार्य करने चाहिए। शुक्ल पक्ष में देवी की उपासना अधिक फलदायी मानी जाती है। इस दौरान व्यक्ति को सप्तशति का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा इस पूरे महीने में ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं,शुभ होता है।