Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 May, 2022 02:20 PM
दीपावली की रात्रि में श्री गणेश- श्री महासरस्वती, श्री महालक्ष्मी जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस रात्रि के स्थिर लगन में श्री लक्ष्मी जी एवं गणेश जी की पूजा का विधान है। पूजा में कमल गट्टा, गन्ना, सिंघाड़ा,
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Why does Ganesha love Modak: दीपावली की रात्रि में श्री गणेश- श्री महासरस्वती, श्री महालक्ष्मी जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस रात्रि के स्थिर लगन में श्री लक्ष्मी जी एवं गणेश जी की पूजा का विधान है। पूजा में कमल गट्टा, गन्ना, सिंघाड़ा, कमल के फूल शामिल करने से विघ्न दूर होते हैं।
श्री गणेश साक्षात ब्रह्म स्वरूप हैं तथा जिस प्रकार ॐ के बिना सब मंत्र अधूरे हैं उसी प्रकार बिना गणेश की स्तुति के सभी देवी-देवताओं का पूजन अधूरा है। गणेश जी के शुभ कार्यों तथा देवों में भी अग्रपूज्य होने के कारण, उन्हें प्रसन्न किए बिना कल्याण संभव नहीं। उनकी पूजा बाधाओं, मुश्किलों, परेशानियों को पल में दूर कर हमें सद्बुद्धि, ऋद्धि-सिद्धि तथा सत्य का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देती है।
गणेश शब्द की व्याख्या अत्यंत महत्वपूर्ण है। गणेश का ‘ग’ मन के द्वारा बुद्धि के द्वारा ग्रहण करने योग्य वर्णन करने योग्य सम्पूर्ण जगत को स्पष्ट करता है। ‘ण’ मन बुद्धि और वाणी से परे ब्रह्म विद्या स्वरूप परमात्मा को स्पष्ट करता है और इन दोनों के ‘ईश’ अर्थात स्वामी गणेश कहे गए हैं।
इसी कारण सभी मंगल कार्यों और देव प्रतिष्ठायानों के आरंभ में गणपति की पूजा की जाती है। भगवान शिव ने गणेश जी को विघ्ननाशक होने का वर दिया। कलियुग में चंडी तथा विघ्ननाशक ही शीघ्र फलदाता माने गए हैं।
उन्हें मोदक (लड्डू) पसंद है। एकदंत होने के कारण वह चबाने वाली कोई वस्तु नहीं खा पाते। खाने में आसानी होने के कारण उन्हें मोदक प्रिय हैं क्योंकि वह आनंद का प्रतीक हैं। मोदक की गोल आकृति महाशून्य की प्रतीक है। शून्य से ही सब उत्पन्न होता है और शून्य में ही सब विलीन हो जाता है।