Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Jul, 2024 07:35 AM
सावन की रिमझिम के साथ हर तरफ हरियाली छा जाती है। जिधर भी नजर दौड़ा कर देखा जाए प्रकृति के सौन्दर्य का दर्शन होता है। कुदरत के बदले स्वरूप के साथ
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सावन की रिमझिम के साथ हर तरफ हरियाली छा जाती है। जिधर भी नजर दौड़ा कर देखा जाए प्रकृति के सौन्दर्य का दर्शन होता है। कुदरत के बदले स्वरूप के साथ महिलाओं के श्रृंगार में भी परिवर्तन आ जाता है। प्रकृति से एकाकार होने के लिए वह हाथों में हरी मेंहदी रचाती हैं, हरे वस्त्र और हरी चूड़ियां धारण करती हैं। धार्मिक महत्व की दृष्टि से देखा जाए तो सावन के महीने में हरे रंग का अधिक से अधिक उपयोग करने से सोया भाग्य जागृत होता है। हिंदू शास्त्रों में प्रकृति को परमात्मा का दर्जा दिया गया है इसलिए उसका पूजन करने का विधान है। ज्योतिषी विद्वान मानते हैं कि हरा रंग सौभाग्य का प्रतीक है।
सावन माह में सुहागिनों के बहुत सारे पर्व आते हैं, जिनमें कज्जली तीज और हरियाली तीज मुख्य हैं। इन पर्वों पर हरे वस्त्र, हरी चूड़ियां और मेंहदी लगाने का नियम प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। इससे श्री और सौभाग्य में वृद्धि होती है, पति-पत्नी के संबंध प्रगाढ़ बनते हैं।
हरे रंग का संबंध बुद्ध ग्रह से है। उनके शुभ प्रभाव से व्यक्ति की जीविका में उतार-चढ़ाव आते हैं। करियर और व्यापार में शुभता के लिए इस महीने में अधिक से अधिक हरे रंग का प्रयोग करके बुद्ध देव को प्रसन्न करें। जो सुहागन महिलाएं ऐसा करती हैं उनके घर में सम्पन्नता और धन-धान्य बढ़ता है।
जो लोग सावन में हरा रंग धारण करते हैं, भगवान शिव उन पर विशेष अनुकंपा बरसाते हैं। सावन में प्राकृतिक सामग्री से शिव पूजन किया जाता है, जिससे भोले बाबा खुश होते हैं। जो लोग स्वयं को प्रकृति के अनुरूप ढाल लेते हैं, वह शिव जी के प्रिय बन जाते हैं। जो महिलाएं सावन माह में हरे रंग की चूड़ियां पहनती हैं, श्री हरि विष्णु उन पर प्रसन्न होते हैं।
सकारात्मक ऊर्जा में बढ़ौतरी के लिए हरा रंग खास भूमिका निभाता है। पति-पत्नी के रिश्ते में मिठास भरने के लिए बेडरुम के दक्षिण पूर्व हिस्से को हरे रंग से पुतवाएं।