Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Dec, 2021 11:53 AM
एक बार की बात है- रावण विजय अभियान में लौट रहा था। रावण के पुष्पक विमान पर अपहृत सुंदरियां सवार थीं। वे सभी विलाप कर रही थीं। उनके विलाप को
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Ramayana: एक बार की बात है- रावण विजय अभियान में लौट रहा था। रावण के पुष्पक विमान पर अपहृत सुंदरियां सवार थीं। वे सभी विलाप कर रही थीं। उनके विलाप को सुनकर रावण प्रसन्न हो रहा था।
परम साध्वी एक ऋषि पत्नी ने उसे श्राप देते हुए कहा, ‘‘हे प्रभु! यह पापी दुराचार के पथ पर चलकर भी स्वयं को नहीं धिक्कारता। स्त्रियों के हरण का पराक्रम इसकी वीरता के सर्वथा प्रतिकूल है। परस्त्रियों के साथ बलपूर्वक दुराचार करने का दोषी रावण भला किस प्रकार पांडित्य का अधिकारी हो सकता है? मैं इसे श्राप देती हूं कि परस्त्री का अपहरण ही इसके वध का कारण बने।’’
रावण की शक्ति उसी समय से कम होने लगी। वह निस्तेज होने लगा। ऐसी ही स्थिति में रावण ने लंका में प्रवेश किया। वहां और भी दुर्भाग्यजनक समाचार उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे जो आगे जाकर उसके नाश का कारण बने।
उनमें से एक कारण शूर्पणखा और लक्ष्मण के मध्य हुई घटना, दूसरा विभीषण द्वारा रावण की निंदा करना और यह कहना, ‘‘राक्षसराज! आप पुलस्त्य ऋषि की संतान हैं। परस्त्री का अपहरण आपके लिए उचित नहीं। इधर आप पर स्त्री अपहरण में व्यस्त हैं और उधर बहन कुंभीनसी का अचानक अपहरण हो गया है।’’
यह सूचना पाकर रावण अति क्रोधित हुआ। आप यह स्मरण रखें कुंभीनसी रावण के नाना सुमाली के ज्येष्ठ भ्राता माल्यवान की पुत्री अनला की पुत्री थीं। वह लंका में ही निवास करती थीं।
Why Sita was placed in Ashok Vatika by Ravana: इस प्रकार रावण भीतर से भयभीत था। फलस्वरूप वह सीता के साथ बलपूर्वक व्यवहार नहीं कर सका। रावण की सबसे बड़ी विवशता ऋषि पत्नियों का शाप था इसलिए अशोक वाटिका में अशोक वृक्ष के नीचे सीता सुरक्षित रहीं।