Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Jul, 2021 11:51 AM
भगवान विष्णु ने धरती पर कई अलग-अलग अवतार लिए उनमें से एक अवतार नृसिंह का था। यह भगवान विष्णु का चौथा अवतार माना जाता है। भगवान नृसिंह आधे मानव एवं आधे सिंह
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Yadadri Yadagirigutta Lakshmi Narasimha Mandir: भगवान विष्णु ने धरती पर कई अलग-अलग अवतार लिए उनमें से एक अवतार नृसिंह का था। यह भगवान विष्णु का चौथा अवतार माना जाता है। भगवान नृसिंह आधे मानव एवं आधे सिंह के रूप में प्रकट हुए थे, जिनका धड़ तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे। इनकी पूजा दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा की जाती है। वैसे तो देश में भगवान नृसिंह के कई मंदिर हैं लेकिन हैदराबाद से करीब 60 कि.मी. की दूरी पर यदाद्री भुवनगिरी जिले में मौजूद लक्ष्मी-नृसिंह मंदिर का विशेष महत्व है। स्कंद पुराण के अनुसार महर्षि ऋष्यश्रृंग के पुत्र यदा ऋषि ने यहां भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। उनके तप से प्रसन्न होकर विष्णु ने उन्हें नृसिंह रूप में दर्शन दिए थे।
Yadadri Temple: महर्षि यदा की प्रार्थना पर भगवान नृसिंह तीन रूपों में ज्वाला नृसिंह, गंधभिरंदा नृसिंह और योगानंदा नृसिंह यहीं विराजित हो गए। दुनिया में एकमात्र ध्यानस्थ पौराणिक नृसिंह प्रतिमा इसी मंदिर में है। अब इस हजारों साल पुराने मंदिर का कायाकल्प किया जा रहा है। इसे विश्वस्तरीय हिन्दू आध्यात्मिक केन्द्र का स्वरूप दिया जा रहा है। इसके लिए तेलंगाना सरकार ने 1,800 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। यह तेलंगाना सरकार का ड्रीम प्रोजैक्ट है।
इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री ने मार्च 2015 में किया था और मंदिर का पुनर्निर्माण वैष्णव संत चिन्ना जियार स्वामी के मार्गदर्शन में शुरू हुआ। इस मंदिर के पूरा होने के बाद सरकार यहां भारी संख्या में पर्यटकों के आने की उम्मीद कर रही है। यहां यात्रियों के लिए अलग-अलग तरह के गैस्ट हाऊस का निर्माण किया गया है। वी.आई.पी. व्यवस्था के तहत 15 विला भी बनाए गए हैं।
इस मंदिर को बनाने के लिए इंजीनियरों और आर्किटेक्टस ने करीब 1,500 नक्शों और योजनाओं पर काम किया। 2016 में इसकी योजना को मंजूरी मिली थी। लॉकडाऊन के दौरान भी यहां सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन करते हुए काम हुआ। इसके पुन: निर्माण के पहले चरण का काम पूरा हो चुका है।
39 किलो सोना और 1735 टन चांदी
हजारों साल पुराने इस मंदिर का क्षेत्रफल करीब 9 एकड़ था। मंदिर के विस्तार के लिए 300 करोड़ रुपए में 1,900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया। मंदिर में 39 किलो सोने और करीब 1,753 टन चांदी से सारे गोपुर (द्वार) और दीवारें मढ़ीं जाएंगी। इसकी लागत करीब 700 करोड़ रुपए होगी।
इस मंदिर का डिजाइन हैदराबाद के प्रसिद्ध आर्किटैक्ट और दक्षिण फिल्मों के आर्ट डायरैक्टर आनंद साईं ने तैयार किया। सोने का गर्भगृह यदाद्री का मुख्य शिखर जो गर्भगृह के ऊपर होगा, उसे सोने से मढ़ा जाएगा। करीब 32 परतों वाले इस शिखर को सोने से मढऩे के लिए बढ़ी एजैंसियों की मदद ली जा रही है। इसमें शिखर पर पहले तांबे की परत चढ़ाई जाएगी, फिर सोना मढ़ा जाएगा। अनुमान है कि इसमें करीब 27 किलो सोना लगेगा और मंदिर में करीब 39 किलो सोना है। मंदिर के निर्माण के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, वे हर तरह के मौसम की मार झेल सकते हैं। लगभग 1000 साल तक ये पत्थर वैसे ही रह सकेंगे, जैसे कि अभी हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है।
मंदिर के मुख्य रक्षक हनुमान
मंदिर के पास ही मुख्य द्वार के पास भगवान हनुमान की एक खड़ी प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है। इस मंदिर में लक्ष्मी-नृसिंह के साथ ही हनुमान जी का मंदिर भी है।
इस कारण हनुमान जी को मंदिर का मुख्य रक्षक देवता माना गया है। इस प्रतिमा को करीब 25 फुट के स्टैंड पर खड़ा किया जा रहा है। प्रतिमा कई कि.मी. दूरी से दिखाई देगी। यदाद्री पर्वत को पंच नृसिंह के स्थान के रूप में भी जाना जाता है।
प्रतिदिन 10 हजार लोग कर सकेंगे भोजन
यहां अन्न प्रसाद के लिए भी पूरी व्यवस्था होगी, रोज लगभग 10 हजार लोगों के लिए भोजन तैयार किया जाएगा। जैसे-जैसे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी, उसके हिसाब से अन्न प्रसादम् की व्यवस्था भी बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा मंदिर परिसर में अलग-अलग जगह अन्न प्रसादम् के काऊंटर भी लगाए जाएंगे। मार्च में एक भव्य यज्ञ के साथ इस मंदिर का लोकार्पण होना था जिसमें राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसी हस्तियों को भी आमंत्रित किया जाना था लेकिन कोरोना के चलते कुछ देरी हो रही है। हालांकि, आशा की जा रही है कि कोरोना के नियंत्रण में आने से इसका बाकी बचा काम जल्द पूरा कर लिया जाएगा।