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Yagya: न केवल धार्मिक बल्कि यज्ञ के हैं ढेरों वैज्ञानिक लाभ

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Apr, 2023 07:33 AM

yagya

महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने प्रत्येक आर्य के लिए सिर्फ अपने घर में ही यज्ञ करने की बात नहीं कही, सार्वजनिक यज्ञ करने

Benefits of Hawan: महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने प्रत्येक आर्य के लिए सिर्फ अपने घर में ही यज्ञ करने की बात नहीं कही, सार्वजनिक यज्ञ करने की भी बात कही है। जब घर-घर में नित्य यज्ञ और सामूहिक रूप से बड़े-बड़े यज्ञ हों तो आध्यात्मिक और भौतिक वातावरण शुद्ध पवित्र वायु से भर जाता है। अग्रि में डाला हुआ पदार्थ नष्ट नहीं होता सूक्ष्म होकर फैल जाता है। अग्रि का काम स्थूल पदार्थ को सूक्ष्म रूप में परिवर्तित कर देना है। यज्ञ करते हुए अग्रि में घी डालते हैं वह नष्ट नहीं होता और हवन सामग्री में अनेक उत्तम पदार्थ भी डाले जाते हैं, वे परमाणुओं में बदल जाते हैं और सारे वातावरण को शुद्ध कर देते हैं।

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Effects of gross substances on health when the entrance gate becomes subtle स्थूल पदार्थों के अग्रि द्वारा सूक्ष्म हो जाने पर उनका स्वास्थ्य पर प्रभाव
मनुष्य का स्वास्थ्य उसके भीतर विद्यमान शुद्ध रक्त पर आश्रित है। रक्त जितना शुद्ध होगा उतना ही व्यक्ति स्वस्थ होगा और रक्त जितना अशुद्ध होगा उतना ही व्यक्ति अस्वस्थ होगा। शरीर में रक्त का संचार हृदय से होता है किंतु अशुद्ध रक्त को शुद्ध करने का कारखाना फेफड़े हैं। जब पेट का खाना पचकर रक्त से होकर शरीर में लगता है तो यह रक्त जिस पर स्वास्थ्य तथा जीवन निर्भर है फेफड़ों द्वारा शुद्ध होकर शरीर में संचार करता तथा हमें जीवन शक्ति प्रदान करता है। अगर फेफड़ों में शुद्ध तथा पौष्टिक वायु पहुंचेगी तो व्यक्ति स्वस्थ-सुंदर, सुड़ौल होगा, अगर फेफड़ों में अशुद्ध वायु पहुंचेगी तो व्यक्ति अस्वस्थ होगा।
 
इसी तरह जब  हम यज्ञ करते हैं तब घृत व सामग्री में जो औषधियां डाली जाती हैं उनका अग्रि द्वारा सूक्ष्म तत्व इन खाली फेफड़ों को भर हमें घृत तथा सामग्री की औषधियों का लाभ पहुंचाता है। यज्ञ का यह लाभ वैज्ञानिक और भौतिक लाभ है।

Purification of the personal and social atmosphere through Yagya यज्ञ द्वारा वैयक्तिक तथा सामाजिक वायु मंडल को शुद्ध करना
प्रत्येक व्यक्ति का निज आवास दूषित वायु से भरा रहता है। इतना ही नहीं, उसमें कार्बन डाइऑक्साइड भरी रहती है। इसके अलावा अनेक प्रकार के कीटाणु हर घर में मौजूद रहते हैं। अनेक घरों में सीलन की बदबू रहती है जिससे खांसी-जुकाम व अंगों में अनेक प्रकार के दर्द पैदा हो जाते हैं।
 
उनको दूर करने के लिए यज्ञ द्वारा वायु शुद्ध करनी पड़ती है। वायु का कार्य तो संचरण करना है। इस दृष्टि से प्रत्येक व्यक्ति का अपने घर में यज्ञ करना केवल उसे ही लाभ नहीं पहुंचाता अपितु अपने अगल-बगल के वातावरण को भी शुद्ध करता है। वायुमंडल का शुद्ध होना व्यक्ति तथा समाज को स्वास्थ्य देकर आर्थिक बोझ को भी हल्का करता है।

Carbon dioxide gas कार्बन डाइऑक्साइड गैस
यज्ञ में समिधा जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड जो पैदा होती है वह निरा कार्बन डाइऑक्साइड नहीं होती है, उसमें घृत तथा सामग्री में पड़ी अनेक रोगनाशक स्थूल औषधियों की प्रभूत मात्रा सामग्री में डाली जाती है।

Removal of lack by Yagya यज्ञ द्वारा वृष्टि की कमी को दूर करना
यज्ञ द्वारा वायु शुद्ध होती है, रोग के कीटाणुओं का नाश होता है। इसके अतिरिक्त अनावृष्टि के समय वृष्टि की कमी को दूर करता है। यज्ञ में घी का प्रयोग वर्षा लाने में सहायक होता है। घी के अणु वर्षा बरसाने में अपूर्व साधन हैं। पानी और घी दोनों ऐसे पदार्थ हैं जो सर्दी में जम जाते हैं और गर्मी में पिघल जाते हैं। यज्ञ में जब घी के अणु सूक्ष्म होकर ऊपर चढ़ते हैं तो वायु में डोलने वाले बादलों के तल के पास ही पहुंच कर स्वयं जम जाने में उनको भी जमाने और बरसाने का काम देते हैं। इसका अभिप्राय यह हुआ कि घी के परमाणु जब आसमान में चढ़कर बादलों के तले में पहुंचते हैं तब वहां की ठंड के कारण वे जम जाते हैं।

Thoughts regarding the ingredients of Yagya यज्ञ की सामग्री के संबंध में विचार
ऋषि दयानंद जी सत्यार्थ प्रकाश के तीसरे सम्मुलास में यज्ञ की वैज्ञानिकता पर लिखते हैं जहां-जहां होम होता है वहां से दूर में स्थित पुरुष की नासिका में सुगंध का ग्रहण होता है और वैसे ही दुर्गंध का भी होता है। अग्नि का सामर्थ्य केसर, कस्तूरी, सुगन्धित पुष्प और इत्र आदि पदार्थों का भेदक शक्ति बन कर दुर्गंध वायु को बाहर निकाल कर शुद्ध वायु का प्रवेश देता है।   


 

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