Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Apr, 2025 06:31 AM
Yamuna Chhath 2025: चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर देवी यमुना धरती पर प्रकट हुई थी। इसलिए इस दिन को यमुना छठ या यमुना जयंती के रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा बिहार और झारखंड में विशेष रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा संतान प्राप्ति और परिवार...
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Yamuna Chhath 2025: चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर देवी यमुना धरती पर प्रकट हुई थी। इसलिए इस दिन को यमुना छठ या यमुना जयंती के रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा बिहार और झारखंड में विशेष रूप में मनाया जाता है। छठ पूजा संतान प्राप्ति और परिवार की सुख-शांति के लिए की जाती है। इस दिन सूर्य देव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इससे जीवन में आने वाली हर परेशानी से छुटकारा मिलता है और मन की हर मनोकामना पूरी होती है।
यमुना छठ की पूजा विधि: यमुना छठ के दिन पूजा की विधि कुछ खास होती है, जो इस प्रकार है:
नदी में स्नान: यमुना छठ के दिन, श्रद्धालु पहले यमुना नदी में स्नान करते हैं। इसे पवित्र स्नान माना जाता है और इससे व्यक्ति के पापों का नाश होता है। यदि किसी के पास यमुना नदी के किनारे जाने का अवसर नहीं है, तो वह घर में यमुना जल का उपयोग कर भी पूजा कर सकते हैं।
उबटन और स्नान: नदी में स्नान करने के बाद, श्रद्धालु उबटन करते हैं, जो प्राकृतिक सामग्री जैसे उबटन पाउडर, हल्दी, गुलाब जल, इत्यादि से शरीर को स्वच्छ करते हैं। यह शरीर को शुद्ध करने की प्रक्रिया है।
यमुना देवी की पूजा: फिर यमुना देवी की पूजा की जाती है। पूजा में दीप, अगरबत्तियां, फूल, नैवेद्य (फल, मिठाइयां) और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी) अर्पित किए जाते हैं। यमुना के चित्र या प्रतिमा के सामने दीपक जलाना महत्वपूर्ण होता है। विशेष रूप से भक्त यमुना की पूजा करके उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
यमुना छठ का उपवास: कई लोग इस दिन के लिए उपवासी रहते हैं और पूरे दिन का व्रत रखते हैं। यह उपवास शरीर और मन को शुद्ध करने के उद्देश्य से किया जाता है। इस दिन को व्रत का पालन करते हुए पूरी श्रद्धा से पूजा की जाती है।
यमुना छठ पर पाठ और भजन: इस दिन भक्त यमुना देवी के भजन, कीर्तन और मंत्रों का पाठ करते हैं। विशेष रूप से श्री कृष्ण के गीत और यमुना नदी के गुणों का गायन किया जाता है। "यमुनामहालोच्चन, जय जय यमुना पति" जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है। यमुना महारानी श्री कृष्ण की पटरानी हैं।
यमुना देवी की आरती: दिन के अंत में यमुना देवी की विशेष आरती की जाती है। पूजा का समापन दीपों की आरती से होता है और इसे यमुना नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है।