Edited By Prachi Sharma,Updated: 14 Feb, 2025 11:34 AM
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हिन्दू धर्म में संतान की सलामती और संतान प्राप्ति के लिए बहुत व्रत रखे जाते हैं और इन में से एक है यशोदा जयंती का व्रत। यह व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है
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Yashoda Jayanti 2025: हिन्दू धर्म में संतान की सलामती और संतान प्राप्ति के लिए बहुत व्रत रखे जाते हैं और इन में से एक है यशोदा जयंती का व्रत। यह व्रत फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है। यशोदा जयंती हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण की माता यशोदा के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। मैया यशोदा का नाम भारतीय धर्म, संस्कृति और इतिहास में विशेष स्थान रखता है क्योंकि वह भगवान कृष्ण की मातृ वत्सलता का प्रतीक हैं। यशोदा जयंती का महत्व इसलिए भी है क्योंकि वह मां हैं, जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धन पर्वत उठाने की शक्ति दी और उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान किया। भगवान कृष्ण की बाल लीला, माखन चुराने की कहानियां और उनके चमत्कारी कार्यों में यशोदा का योगदान बहुत बड़ा था। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं कि किस दिन रखा जाएगा ये व्रत।
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Date of Yashoda Jayanti यशोदा जयंती की तिथि
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि का आरंभ 18 फरवरी को सुबह 4 बजकर 53 मिनट पर होगा और अगले दिन 19 फरवरी सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा। उदया तिथि के अनुसार यह व्रत 18 फरवरी को मनाया जाएगा।
यशोदा जयंती के लिए शुभ मुहूर्त
यशोदा जयंती के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है। यह दिन विशेष रूप से मैया यशोदा के साथ-साथ भगवान कृष्ण के गुणों और उनके जीवन के कार्यों का स्मरण करने का अवसर होता है।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से दोपहर 1 बजकर 3 मिनट तक।
अमृत काल दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से शुरू होकर दोपहर 2 बजकर 52 मिनट तक।
Yashoda Jayanti Puja Vidhi यशोदा जयंती पूजा विधि
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इस दिन पहले ही स्नान करके शुद्ध अवस्था में पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। ताजगी और शुद्धता से पूजा में भगवान श्री कृष्ण और उनकी माता यशोदा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इस दिन भक्तों को यशोदा के जीवन और भगवान कृष्ण की बाल लीला का स्मरण करना चाहिए। विशेष रूप से कृष्ण के माखन चोरी, गोवर्धन पर्वत उठाने, और उनकी अन्य बाल लीला के बारे में पढ़ना या सुनना बहुत शुभ माना जाता है।
यशोदा जयंती के दिन भजन और कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिसमें विशेष रूप से भगवान कृष्ण के भजन गाए जाते हैं। इस दिन गाए गए भजनों में भगवान कृष्ण के बाल रूप और उनकी माता रूपी यशोदा की महिमा का गुणगान किया जाता है।
पूजा के बाद भगवान श्री कृष्ण और मैया यशोदा को माखन, गुड़, मलाई अर्पित करें। यह भोजन विशेष रूप से माखन और मिठाइयों का होता है क्योंकि श्री कृष्ण को माखन और अन्य दही से संबंधित चीज़ों का बहुत प्रेम था।
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