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इंडोनेशिया का शिव मंदिर, जहां जीवित लड़की बन गई मूर्ति

Edited By ,Updated: 17 Sep, 2015 09:02 AM

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विश्व भर में भगवान शिव के बहुत से मंदिर हैं। जहां वो विभिन्न देवी-देवताओं के साथ अलग-अलग नामों से पूजे जाते हैं। तो आईए आज आपको यात्रा करवाते हैं 10वीं शताब्दी में बने इंडोनेशिया के जावा में स्थित प्रम्बानन मंदिर की जोकि शहर से औसतन 17 कि.मी. की...

विश्व भर में भगवान शिव के बहुत से मंदिर हैं। जहां वो विभिन्न देवी-देवताओं के साथ अलग-अलग नामों से पूजे जाते हैं। तो आईए आज आपको यात्रा करवाते हैं 10वीं शताब्दी में बने इंडोनेशिया के जावा में स्थित प्रम्बानन मंदिर की जोकि शहर से औसतन 17 कि.मी. की दूरी पर है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ भगवती दुर्गा के रूप में जिस देवी को पूजा जाता है उनका नाम है रोरो जोंग्गरंग। इन देवी को पूजने के पीछे एक पौराणिक कथा है जो इस प्रकार है- 
कहते हैं काफी समय पूर्व की बात है जावा में प्रबु बका नामक राक्षस राजा राज्य करता था। उसकी रोरो जोंग्गरंग नाम की खूबसूरत बेटी थी। बांडुंग बोन्दोवोसो नामक युवक ने रोरो जोंग्गरंग को विवाह का प्रस्ताव दिया। उसे दिल से यह प्रस्ताव स्वीकार न था। उसने सीधे तौर पर उस युवक को मना न करते हुए उसके आगे शर्त रखी की उसे एक ही रात में एक हजार मूर्तियां बनानी होंगी।
 
बांडुंग बोन्दोवोसो राजी हो गया। जब उसने 999 मूर्तियां बना दी और वह आखिरी मूर्ति पर काम कर रहा था तो रोरो जोंग्गरंग ने पूरे शहर में जितने भी चावल के खेत थे उनमें आग लगवा दी जिससे ऐसा आभास हुआ की भोर फट गई है। उसकी आखरी मूर्ति अधूरी ही रह गई। जब बांडुंग बोन्दोवोसो को सच ज्ञात हुआ तो उसे बहुत क्रोध आया और उसने रोरो जोंग्गरंग को आखिरी मूर्ति बन जाने का श्राप दे दिया। रोरो जोंग्गरंग की मूर्त को भगवती दुर्गा का रूप मान पूजा जाता है।
 
इंडोनेशिया के लोग रोरो जोंग्गरंग मंदिर की कथा को रोरो जोंग्गरंग से संबंधित होने के कारण इस मंदिर को रोरो जोंग्गरंग मंदिर के नाम से पुकारते हैं। हिंदू लोगों के लिए प्रम्बानन मंदिर आस्था का केंद्र है। प्रम्बानन मंदिर इतना सुंदर है की वहां की बनावट किसी को भी अपने मोहपाश में बांध लेगी। मंदिर की दीवारों पर रामायण काल के चित्र भी अंकित हैं। ये चित्र रामायण की गाथा को बयां करते हैं।  

प्रम्बानन मंदिर में मुख्य रूप से ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अलग- अलग मंदिर स्थापित हैं। तीनों देवों की प्रतिमाओं के मुख पूर्व दिशा में हैं। प्रत्येक प्रधान मंदिर के सम्मुख पश्चिम दिशा में उसी देव से संबंधित एक मंदिर स्थापित है। यह मंदिर तीनों देवों के वाहनों को समर्पित हैं। ब्रह्मा मंदिर के सामने हंस, विष्णु मंदिर के सामने गरूड़ और शिव मंदिर के सामने नन्दीश्वर का मंदिर है। इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में और भी बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं। 

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