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यहां बूढ़ादेव के रूप में पूजे जाते हैं भोलेनाथ, रामेश्वर की भस्म से होती है आरती

Edited By ,Updated: 21 Aug, 2016 02:04 PM

budheshwar mahadev mandir

छत्तीसगढ़ की राजधानी बूढ़ापारा में स्वयंभू बूढ़ेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। बूढ़ेश्वर महादेव की आरती के लिए रामेश्वर से भस्म मंगवाई जाता है। यहां प्रत्येक सोमवार

छत्तीसगढ़ की राजधानी बूढ़ापारा में स्वयंभू बूढ़ेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। बूढ़ेश्वर महादेव की आरती के लिए रामेश्वर से भस्म मंगवाई जाता है। यहां प्रत्येक सोमवार को भस्म आरती होती है। भस्म आरती के लिए उपयोग में लाई जाने वाली भस्‍म दरअसल रायपुर से दो हजार किलोमीटर दूर यानि रामेश्वर से मंगाई जाती है। इस मंदिर में पूजा-अर्चना चार सौ साल पहले यहां के आदिवासी किया करते थे। आदिवासी समाज भोलेनाथ को बूढ़ादेव के स्वरुप में ही पूजता आ रहा है। 

 

कहा जाता है कि इस मंदिर की जिम्मेदारी 1923 से रायपुर पुष्टिकर समाज कर रहा है।विक्रम संवत् 2009 अर्थात आज से 63 साल पहले ही इस प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार करके इसे नया रूप दिया गया है। मंदिर परिसर में अन्य मंदिर जैसे हनुमान जी, गायत्री माता, नरसिंह भगवान, राधाकृष्ण, संतोषी माता अौर काल भैरव के मंदिर भी है। यहां प्रतिदिन सुबह साढ़े 5 बजे अौर शाम साढ़े 7 बजे आरती की जाती है। इस मंदिर में भोलेनाथ को प्रतिदिन दोपहर 12 बजे भोग लगता है। 

 

यहां प्रत्येक रविवार सहस्त्रघट जलधारा का अभिषेक किया जाता है। भोलेनाथ के सहस्त्रघट अभिषेक में पवित्र नदियों का जल मंगवाया जाता है, इसमें रायपुर की जीवनदायिनी कही जाने वाली खारुन नदी, राजिम के त्रिवेणी संगम सहित गंगा और नर्मदा के पवित्र जल से अभिषेक किया जाता है। कहा जाता है कि एक बड़े ड्रम में सभी स्थानों के पवित्र जल को मिलाकर मिट्टी के घड़ों में भरकर महादेव का सहस्त्रघट अभिषेक करते हैं। साथ ही दुग्धाभिषेक भी किया जाता है। 

 

मंदिर में ऐसी व्यवस्था कि गई है कि निरंतर अभिषेक से श्रृंगार खराब न हो सके। यहां भोलेनाथ को बेलपत्र, धतूरा, बेलफल, कनेर, आखड़े के पुष्पों की माला, भूप, दीप, आगरबत्ती, नारियल आदि अर्पित किए जाते हैं।

 

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