Edited By ,Updated: 03 Jan, 2017 07:36 PM
एक समय जब मानव गुफाओं में रहा करता था , लेकिन फिर धीरे - धीरे मकान बन गए। लेकिन क्या आप जानते हैं, विश्व प्रसिद्ध ..
नई दिल्ली : एक समय जब मानव गुफाओं में रहा करता था ,लेकिन फिर धीरे - धीरे मकान बन गएं। लेकिन क्या आप जानते हैं, विश्व प्रसिद्ध होटल ताज, ताजमहल, स्टेच्यु ऑफ लिबर्टी, पीसा की झूकी हुई मीनार, लोट्स टेंपल, राष्ट्रपति भवन, अक्षरधाम मंदिर आदि में क्या समानताएं हैं? जिसकी सुंदरता के देखकर हर कोई कहता है वाह! क्या डिजाइन है। दरअसल, इन चीजों में एक ही समानता है, ये सभी बेजोड़ आर्किटेक्चर का नमूना है। आज भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार काफी तेज है और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में काफी पैसा भी लगया जा रहा है। ऐसी स्थिति में कम समय में खूबसूरत और गुणवत्तापूर्ण बिल्डिंग तैयार करने के लिए आर्किटेक्चर की जरूरत बढ़ती जा रही है। इसीलिए पिछले कुछ दशकों से हमारी अर्थव्यवस्था में आए बूम की वजह से कंस्ट्रक्शन और रिएल इस्टेट क्षेत्रों में जबरदस्त उछाल देखा गया है और इसकी मिसाल है छोटे-बड़े शहरों में तेजी से खड़ी खूबसूरत, ऊंची रिहायशी और कमर्शियल इमारतें। इनके निर्माण में डिजाइनर्स और बिल्डरों की भूमिका अहम है और सच तो ये है कि आर्किटेक्चर और डिजाइन के क्षेत्र में कंप्यूटर टेक्नोलॉजी ने एक तरह से क्रांति ही ला दी है।
क्वालिफिकेशन
फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ से बारहवीं करने के बाद ग्रेजुएट लेवल पर आर्किटेक्चर कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। बी.ऑर्क कोर्स के लिए द काउंसिल ऑफ ऑर्किटेक्चर ऑल इंडिया बेसिस पर परीक्षा का आयोजन करती है। बी.ऑर्क कोर्स पांच वर्ष का होता है। अधिकतर संस्थान में प्रवेश लिखित परीक्षा के आधार पर होता है। बी.ऑर्क कोर्स करने के बाद पोस्ट ग्रेजुएट ऑकिटेक्चर कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। कुछ संस्थान ऐसे भी हैं, जो खुद एंटेंस टेस्ट का आयोजन करती है, तो कुछ 12वीं में हासिल अंक के आधार पर भी एडमिशन देती है।
कौन-कौन से कोर्स
इस क्षेत्र में कॅरियर बनाने के इच्छुक छात्र दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर सकते हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में स्थित पॉलीटेक्निक संस्थान, नई दिल्ली स्थित कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल समेत ऐसे और भी कई संस्थान हैं जो सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स करवाते हैं।
डिप्लोमाधारी युवा पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर में जूनियर इंजीनियर की जॉब के लिए आवेदन कर सकते हैं। आर्किटेक्चरल डिजाइनिंग में अन्य लोकप्रिय कोर्स हैं, बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर (बीआर्क), एम आर्क तथा सिविल इंजीनियरिंग में बीई या बीटेक डिग्री। बीआर्क में दाखिले के लिए अभ्यर्थी का किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से साइंस (फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स) विषय में न्यूनतम 50 फीसदी अंकों के साथ बारहवीं या इसके समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
इसमें चयन अमूमन आईआईटीजेईई, एआईईईई जैसी प्रवेश परीक्षाओं के माध्यम से होता है। हालांकि प्रत्येक राज्य अपने यहां शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए अलग से प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करते हैं, वहीं निजी इंजीनियरिंग कॉलेज भी अपने स्तर पर एंट्रेस टेस्ट आयोजित करते हैं अथवा आईआईटीजेईई या एआईईईई स्कोर्स को दाखिला देते हैं।
पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर छात्र चाहें तो एमई या एमटेक कर सकते हैं। देश के कई इंजीनियरिंग कॉलेज व विश्वविद्यालयों में यह कोर्स उपलब्ध हैं। स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर में छात्र आर्किटेक्चर के बैचलर, मास्टर या डॉक्टोरल कोर्स को कर सकते हैं। इसके अलावा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स की एसोसिएट मेंबरशिप के लिए एएमआईई नामक एक एग्जाम भी होता है, जो कामकाजी प्रोफेशनल्स या डिप्लोमाधारी को दूरस्थ शिक्षा के लिए इंजीनियरिंग की बैचलर डिग्री हासिल करने की सुविधा देता है। छात्र चाहें तो खास तरह के ढांचों या इमारतों मसलन अस्पताल, शॉपिंग मॉल, आवासीय कॉलोनी, स्कूल, कॉलेज, होटल आदि की डिजाइनिंग में विशेषज्ञता भी हासिल कर सकते हैं।
स्पेशलाइजेशन
पोस्ट गे्रजुएशन लेवल पर आप ऑकिटेक्चर में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। स्पेशलाइजेशन के रूप में आप अर्बन डिजाइन, रीजनल प्लानिंग, बिल्डिंग इंजीनियरिंग ऐंड मैनेजमेंट, आर्किटेक्चरल कंजर्वेशन, इंडस्ट्रियल डिजाइन, लैंडस्केप ऑकिटेक्चर, नेवल ऑर्किटेक्चर आदि विषयों का चयन कर सकते हैं।
क्या करते हैं ऑर्किटेक्ट्स
आमतौर पर ऑर्किटेक्ट का काम किसी बिल्डिंग या स्ट्रक्चर के लिए प्लानिंग के साथ-साथ डिजाइन तैयार करना होता है। ऑर्किटेक्ट क्लाइंट की बजट के अनुरूप कंस्ट्रक्शन की प्लानिंग करने में माहिर होते हैं। वैसे आज के दौर में ऑकिटेक्ट पर कम से कम समय में गुणवत्तापूर्ण डिजाइन तैयार करने के साथ-साथ ईको फ्रेंडली कंस्ट्रक्शन तैयार करने का दवाब दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।
कौन बन सकता है बेहतर ऑर्किटेक्ट
जिन स्टूडेंट्स की पकड फिजिक्स और मैथ विषय पर अच्छी होती है, वे इस क्षेत्र में बेहतर कार्य कर सकते हैं। खासबात यह है कि स्टूडेंट्स में स्के्रच और डिजाइन तैयार करने के प्रति रूचि होनी जरूरी है। कई बार ऑर्किटेक्ट को लीगल वर्क भी करना पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि कानून की भी कुछ-न-कुछ जानकारी अवश्य हो। एक ऑर्किटेक्ट की अच्छी कम्युनिकेशन स्किल के साथ-साथ डेस्क और साइट पर काम करने की भी काबिलियन होनी चाहिए।
खूब हैं अवसर
आर्किटेक्ट्स के लिए प्राइवेट व पब्लिक सेक्टर में रोजगार पाने की काफी संभावनाएं हैं। पब्लिक सेक्टर की बात करें तो लोक निर्माण, सिंचाई, स्वास्थ्य जैसे विभागों में आर्किटेक्ट की मांग लगातार बनी हुई है। यदि कोई आर्किटेक्ट को पेशे के तौर पर नहीं अपनाना चाहता, तो वह इंजीनियरिंग व आर्किटेक्चर कॉलेजों में अध्यापन का विकल्प भी अपना सकता है। हालांकि इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों के लिए सरकारी सेक्टर के मुकाबले प्राइवेट सेक्टर में रोजगार की बेहतर संभावनाएं हैं। आप चाहें तो बतौर आर्किटेक्ट अपनी सलाहकार फर्म स्थापित कर सकते हैं या कांट्रेक्टर के तौर पर भी काम कर सकते हैं।
इस क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स जो स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहते हैं या सरकारी नौकरी करना चाहते हैं, उन्हें काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर (सीओए) में अपना रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। सीओए एक सरकारी निकाय है। विदेशों में भी इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहतर संभावनाएं हैं।
कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में बडे पैमाने पर हो रहे इन्वेस्टमेंट के कारण ऑकिटेक्चर की डिमांड लगातार बढती जा रही है। जानकारों की मानें, तो भारत में ऑकिटेक्चर की मांग और सप्लाई में अभी भी काफी अंतर है। यदि एम्प्लॉयमेंट ऑपरचुनिटी की बात करें, तो प्राइवेट सेक्टर के साथ-साथ गवर्नमेंट सेक्टर में भी अच्छी है।
गवर्नमेंट सेक्टर में आर्किओलॉजिकल डिपार्टमेंट, मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस, डिपॉर्टमेंट ऑफ रेलवे, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स, नेशनल बिल्डिंग ऑर्गनाइजेशन, टाउन ऐंड कंट्री प्लानिंग ऑर्गनाइजेशन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स, नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लि., सिटी डेवलॅपमेंट अथॉरिटी आदि में रोजगार के अवसर होते हैं। इसके अलावा, लोकल एजेंसी, स्टेट डिपार्टमेंट, हाउसिंग में भी नौकरी की तलाश कर सकते हैं। यदि आप कुछ वर्षों का अनुभव हासिल कर लेते हैं, तो कंसल्टेंट और कंस्ट्रक्टर के रूप में खुद के बिजनेस की शुरूआत भी कर सकते हैं।
दमदार सैलरी
ऑकिटेक्ट के रूप में जॉब की शुरुआत करने पर आपकी सैलरी 15 से 20 हजार रुपये प्रति माह हो सकती है। हालांकि सैलरी ऑर्गनाइजेशन के आकार और आपके अनुभव पर भी डिपेंड करती है। दो से चार साल के अनुभव के बाद आपकी मासिक सैलरी 30हजार रुपये से अधिक हो सकती है।
कहां से करें आर्किटेक्चर कोर्स
स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली
गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, लखनऊ
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खड़गपुर
रुड़की विश्वविद्यालय, रुड़की
मौलाना आजाद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल
चंडीगढ़ कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, चंडीगढ़
गोवा कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, गोवा
मनिपाल इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मनिपाल
बिरला इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मिसरा, रांची
जामिया मिलिया इस्लामिया, जामिया नगर, नई दिल्ली
सेंटर फॉर इन्वायरन्मेंटल प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद