Edited By Riya bawa,Updated: 26 Aug, 2019 12:28 PM
आज दुनिया में शायद ही कोई ऐसा ...
नई दिल्ली: आज दुनिया में शायद ही कोई ऐसा हो जो मदर टेरेसा को न जानता हो। अपने पूरे जीवन को असहायों और जरूरतमंद लोगों के लिए समर्पित करने वाली मदर टेरेसा की आज 109 वीं जयंती है। मदर टेरेसा एक ऐसी शख्सियत की धनी थीं, जिन्होंने गरीबों, अनाथों, असहायों और जरूरतमंद लोगों की सेवा को ही अपनी जिंदगी का इकलौता मकसद बनाया, और उसी साधना में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित
इसी वजह से उन्हें साल 1979 में शांति और सदभावना के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आज उनके जयंती पर कोलकाता में ‘मदर हाउस’ में विशेष प्रार्थना आयोजित की गई। इस प्रार्थना का आयोजन मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सिस्टर्स की ओर से किया गया।
ये हैं खास बातें
-गरीबों की मसीहा की छवि वाली मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को अग्नेसे गोंकशे बोजशियु के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (मौजूदा सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य) में हुआ था।
-मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं। जनवरी 1929 को वो भारत आईं, और हमेशा के लिए यहीं की होकर रह गयीं। 1948 में उन्होंने स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली। उन्होंने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की
1980 में मिला भारत रत्न
मदर टेरेसा अपनी मृत्यु तक कोलकाता में ही रही और आज भी उनकी संस्था गरीबों के लिए काम कर रही है। मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार के साथ 1980 में भारत रत्न, टेम्पटन प्राइज, ऑर्डर ऑफ मेरिट और पद्म श्री से भी नवाजा गया है। उनका कहना था- 'जख्म भरने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठ से कहीं ज्यादा पवित्र हैं'।
ये हैं अनमोल विचार
"एक जीवन जो दूसरों के लिए नहीं जीया गया वह जीवन नहीं है."
"दया और प्रेम भरे शब्द छोटे हो सकते हैं, लेकिन वास्तव में उनकी गूंज की कोई सीमा नहीं."
"यह अहम नहीं है कि आपने कितना दिया, बल्कि यह अहम है कि देते समय आपने कितने प्रेम से दिया."