Edited By Riya bawa,Updated: 21 Aug, 2019 01:19 PM
आईआईटी दिल्ली से जुड़े एक स्टार्टअप ...
नई दिल्ली: आईआईटी दिल्ली से जुड़े एक स्टार्टअप ने महिला स्वास्थ्य और स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए एक नए तरह के सैनिटरी नैपकिन की पेशकश की है। जहां महिलाएं यूज़ एंड थ्रो सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती है वही ये नैपकिन 120 बार इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस पैड की खासियत है कि इसे केले के रेशे से बनाया गया है। इस प्रकार यह दो वर्षो तक चल सकता है, इसे लगभग 120 बार उपयोग किया जा सकता है। बता दें कि आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसरों के साथ मिलकर यह नैपकिन डेवलप किया गया है। टीम ने इस उत्पाद के लिए एक पेटेंट का आवेदन जमा कराया है।
पर्यावरण को नहीं पहुंचेगा नुकसान
अर्चित अग्रवाल ने कहा, ‘ज्यादातर सैनिटरी नैपकिन सिंथेटिक मेटेरियल और प्लास्टिक से बने होते हैं, जिन्हें नष्ट होने में 50-60 साल लग जाते हैं। बड़ी मात्रा में यह मेस्ट्रुअल वेस्ट लैंडफिल में डंप कर दिया जाता है, खुले में फेंक दिया जाता है या पानी के स्रोतों में बहा देते हैं, जला देते हैं। इसके चलते पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इन नैपकिन से ऐसी कोई समस्या नहीं होगी।’
-उन्होंने आगे कहा कि, ‘‘इन नैपकिनों की तकनीक से पर्यावरण के लिए खतरा पैदा होता हैं। उदाहरण के लिए, जलने से डाइऑक्सिन के रूप में कासनोजेनिक धुएं का उत्सर्जन होता है, जिससे वायु प्रदूषण का खतरा पैदा होता है। इस कचरे को लैंडफिल में डालने से केवल कचरे का बोझ बढ़ता है।’’ अग्रवाल ने हैरी सेहरावत के साथ अपने स्टार्टअप की स्थापना उस समय की थी, जब वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली में बीटेक कर रहे थे।
जानें कीमत
ये सैनिटरी नैपकिन 120 बार इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर आप इस सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं तो इसे डिटर्जेंट के साथ ठंडे पानी में धोने के बाद कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है। सैनिटरी पैड विभिन्न कपड़ों की चार परतों से बना हुआ है, 2 नैपकिन की कीमत 199 रुपये रखी गई है।
‘stand and pee' डिवाइस की तैयार
आईआईटी दिल्ली के छात्रों ने इससे पहले ‘stand and pee' डिवाइस तैयार की थी। Sanfe यानी Sanitation for female नाम का यह एक ऐसा डिवाइस है, जिसके जरिए महिलाएं गंदे पड़े पब्लिक वॉशरूम्स में खड़े होकर टॉयलट कर सकती हैं। वन टाइम यूज वाले इस डिवाइस का दाम सिर्फ 10 रुपए है। वन टाइम यूज इस डिवाइस को इस्तेमाल के बाद सामान्य कचरे की तरह फेंका जा सकता है। यह बायोडिग्रेडेबल मेटेरियल से बना है, लिहाजा यह कचरे की समस्या नहीं बढ़ाता है। महिलाएं इसे अपने पीरियड के दौरान भी यूज कर सकती हैं।