Edited By rajesh kumar,Updated: 10 Nov, 2024 03:41 PM
उत्तराखंड में दिवाली के 11 दिन बाद मनाए जाने वाला पारंपरिक ईगास-बग्वाल त्योहार खासा लोकप्रिय है और इस साल यह मंगलवार, 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन राज्य में सरकारी छुट्टी घोषित की गई है, और सभी सरकारी स्कूल व दफ्तर बंद रहेंगे। इसके अलावा, रिजर्व...
एजुकेशन डेस्क: उत्तराखंड में दिवाली के 11 दिन बाद मनाए जाने वाला पारंपरिक ईगास-बग्वाल त्योहार खासा लोकप्रिय है और इस साल यह मंगलवार, 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन राज्य में सरकारी छुट्टी घोषित की गई है, और सभी सरकारी स्कूल व दफ्तर बंद रहेंगे। इसके अलावा, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भी उत्तराखंड के बैंकों में 12 नवंबर को छुट्टी की घोषणा की है।
दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाता है त्योहार
ईगास-बग्वाल उत्तराखंड का एक पारंपरिक पर्व है, जिसे खासकर गढ़वाल क्षेत्र में मनाया जाता है। यह त्योहार दिवाली के 11 दिन बाद मनाया जाता है और इसे 'बग्वाल' भी कहा जाता है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि भगवान राम के अयोध्या लौटने की सूचना पहाड़ों में देर से पहुंची थी, इस कारण स्थानीय लोग दिवाली के बाद इसे दीप पर्व के रूप में मनाते हैं।
पारंपरिक खेल और परंपराएं
ईगास-बग्वाल के दिन भैलो खेला जाता है, जिसमें लोग लकड़ी की मशाल जलाकर एक पारंपरिक खेल खेलते हैं। इसके अलावा, इस दिन सामूहिक नृत्य, गीत-संगीत और लोक नाट्य का आयोजन भी होता है। ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक पकवान बनाए जाते हैं, जैसे उरद की पकोड़ी, भट के पकौड़े और मिठाइयां, जो इस त्योहार की खासियत होती हैं।
सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक
उत्तराखंड सरकार ने इस पर्व की महत्ता को समझते हुए इसे सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है, ताकि लोग इस सांस्कृतिक धरोहर को मनाने के लिए अपने गांव और परिवारों में जा सकें। ईगास-बग्वाल सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड के लोगों की संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है, जो उन्हें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है। इस त्योहार के जरिए उत्तराखंड के लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को बनाए रखते हैं, और इस दिन के आयोजनों में पूरी तरह से स्थानीय संस्कृति और रंगों की छाप देखने को मिलती है।