Updated: 02 Aug, 2024 10:20 AM
यहां पढ़ें कैसी है फिल्म औरों में कहां दम था
फिल्म-'औरों में कहां दम था' (Auron mein kahan dum tha)
स्टारकास्ट: अजय देवगन (Ajay devgn), तब्बू (Tabu),शांतनु महेश्वरी (Shantanu Maheshwari), सई मांजरेकर (saiee manjrekar), जिमी शेरगिल (Jimmy Shergill)
डायरेक्टर: नीरज पांडे (Neeraj Pandey)
रेटिंग- 3*
Auron mein kahan dum tha: अजय देवगन और तब्बू की जोड़ी जब भी स्क्रीन पर आती आती है दर्शकों में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। दोनों एक बार फिर अपनी जबरदस्त कहानी के साथ स्क्रीन पर रोमांस करते नजर आ रहे हैं। फिल्म औरों में कहां दम था 2 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म एक अधूरी प्रेम कहानी की रोमांचक दास्तान कहती हैं। औरों में कहां दम था में आपको एक लंबे अंतराल की एक अधूरी कहानी देखने को मिलेगी। जिसमे एक रोमांचक मोड़ है। फिल्म को नीरज पांडे ने डायरेक्ट किया है। आइए जानते हैं कैसी है अजय और तब्बू की ये अधूरे प्यार की कहानी।
कहानी
फिल्म की कहानी कृष्णा (अजय देवगन) और वसुधा ( तब्बू) के अधूरे प्यार की कहानी है। वसुधा और तब्बू दोनों एक दूसरे से बेहद प्यार करते हैं तब्बू और अजय के प्यार की कहानी की शुरुआत साल 2001 से शुरू होती है दोनों की जवानी के दिनों का किरदार सांई मंझेकर और शांतनु माहेश्वरी ने निभाया है। दोनों हमेशा एक दूसरे के साथ रहने का वादा करते हैं लेकिन इतनी आसानी से कोई प्रेम कहानी कहां पूरी होती है। दोनों की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है जिससे उनके सारे सपने बिखर जाते हैं और कृष्णा यानी अजय को मर्डर केस में 25 साल की जेल हो जाती है। तब्बू की शादी अभिजीत यानी जिम्मी शेरगिल से हो जाती है। अजय को किसके मर्डर केस में सजा होती है और क्या अब कृष्णा और वसुधा की कभी दोबारा मुलाकात हो पाएगी, क्या दोनों की प्रेम कहानी को एक और मौका मिलेगा? इन सब सवालों के जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अभिनय
फिल्म की स्टारकास्ट की बात करें तो सभी नें शानदार अभिनय किया है। अजय देवगन ने फिल्म में कृष्णा का किरदार निभाया है जो वसुधा यानि तब्बू से बेहद प्यार करता है। अजय ने एक बार फिर अपने शांत लेकिन शातिर अंदाज से इंप्रेस किया है। वहीं वसुधा का किरदार निभा रहीं तब्बू ने अजय का पूरा साथ दिया है। अजय और तब्बू के जवानी के दिनों का किरदार निभा रहे शांतनू और सईं ने अपने रोल में खूब जंचे हैं लेकिन शांतनु को प्लस माक्स देना गलत नहीं होगा। स्क्रीन पर जब भी शांतनु आए हैं उन्होंने एक बार फिर अपनी अदाकारी का बखूबी प्रदर्शन किया है। जिम्मी शेरगिल का रोल फिल्म में छोटा लेकिन दमदार है।
निर्देशन
फिल्म का निर्देशन नीरज पांडे ने किया है। फिल्म के दृश्यों और सीन्स को फिल्माने के तरीके की बात करें तो वह बेहद शानदार है। एक एक सीन स्क्रीन पर देखने में मजा आता है। इसके साथ ही कई त्योहारों को खूबसूरती से दिखाया गया है। फिल्म में कई डायलॉन भी कमाल के हैं वहीं कमी की बात करें तो पूरी फिल्म बेहद स्लोमोशन में चलती है कई बार कुछ ऐसी चीजे जोड़ी गई हैं जिनका होना न होना बराबर लगता है। इसके साथ ही एक सीन को 3 बार रिपीट किया गया है जो काफी बोरिंग लगता है।
म्यूजिक
फिल्म के सभी गाने तारीफ करने लायक हैं सारे गाने ऑस्कर विनर एम.एम. किरवानी ने कंपोज किए हैं। फिल्म के सारे गानों में डीप मीनिंग है जिससे कोई भी प्रेम में पड़ा इंसान रिलेट कर सकता है। सीक्वेंस के हिसाब से सारे गाने जंचे भी हैं। गानों की सादगी के लिए कंपोजर, लिरिक्स राइटर और सिंगर्स सभी शानदार रहे हैं।
Source: Navodayatimes