Review: मनोरंजक अंदाज में महिला सशक्तिकरण का मुद्दा उठाती है फिल्म 'आयुष्मती गीता मैट्रिक पास'

Updated: 16 Oct, 2024 04:24 PM

ayushmati geeta metric pass hindi review

यहां पढ़ें कैसी है फिल्म आयुष्मती गीता मैट्रिक पास

फिल्म : आयुष्मती गीता मैट्रिक पास (Aayushmati Geeta Metric Pass)
निर्देशक: प्रदीप खैरवार (Pradeep Kharwar) 
कलाकार : कशिका कपूर (Kashika Kapoor), अनुज सैनी (Anuj Saini), प्रणय दीक्षित (Pranay Dixit),अतुल श्रीवास्तव (Atul Srivastava), अलका अमीन (Alka Amin)
रेटिंग : 3.5 स्टार्स

Aayushmati Geeta Metric Pass: ग्रामीण कहानियों और सामाजिक मुद्दों पर बनने वाली फिल्में हमेशा दर्शकों में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही हैं इस शुक्रवार को पर्दे पर रिलीज हो रही निर्देशक प्रदीप खैरवार की फिल्म  'आयुष्मति गीता मैट्रिक पास' महिला सशक्तिकरण और महिला शिक्षा की बात करती है। कशिका कपूर की यह फिल्म बहुत जरूरी सामाजिक मुद्दे को संबोधित करती है मनोरंजक कहानी के साथ यह आपको कुंदन और गीता की प्रेम कहानी भी दिल को छू जाती है।

कहानी
फिल्म की कहानी पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक गांव की हैं जहां पर गीता के पिता विधाधर (अतुल श्रीवास्तव ) चाहते हैं कि उनकी बिटिया गीता ( कशिका कपूर ) शादी से पहले मैट्रिक (हाईस्कूल ) पास हो जाए। गीता पढ़ने में बहुत तेज हैं साथ ही बहुत सुंदर भी हैं। अपने दोस्त की शादी में कुंदन (अनुज सैनी) पहली नजर में ही अपना दिल गीता पर हार जाता हैं गीता भी कुंदन को पसंद करती हैं। कुंदन अपनी माँ ( अलका अमीन ) के साथ गीता के साथ शादी की बात करने पहुँच जाता हैं गीता के पिता विद्याधर त्रिपाठी अपनी बेटी की शादी के लिए तैयार नहीं होते हैं और कहते हैं जब तक कि गीता  मैट्रिक पास न कर ले वह उसकी शादी के बारे में सोच भी नहीं सकते। फिल्म की कहानी में ट्विस्ट आता है जब कुंदन की माँ का यह कहते हुए अपने घर चले जाते है कि घनघोर कलयुग आ गया हैं लड़के वाले बिना किसी शर्त के शादी के लिए तैयार हैं और लड़की वाले मना कर रहे हैं।  इसके बाद शुरु होती है कुंदन और गीता  यहाँ से एक नई प्रेम कहानी। इसके बाद इन लव स्टोरी में आती हैं कई मुसीबतें तो क्या अब इन दोनों की शादी हो पाएगी इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

अभिनय                            
कशिका कपूर ने गीता के किरदार को जीवंत कर दिया हैं  उनका अभिनय बहुत स्वाभाविक हैं और उन्होंने गीता के किरदार में खुद को ढाल लिया है। कशिका ने इस रियलिस्टिक किरदार को बड़ी सहजता से निभाया है। अनुज सैनी ने कुंदन के किरदार में बहुत ही नेचुरल अभिनय किया हैं एक आठवी पास लड़के के भोलेपन को उनके अभिनय में देखा जा सकता हैं।  फ़िल्म में कुंदन के दोस्त बंटी के रूप में प्रणय दीक्षित ने बहुत बढ़िया काम किया है। उनकी कॉमिक टाइमिंग और परफार्मेंस दोनों ही दर्शकों को बहुत पसंद आयेगा। अन्य कलाकारो के अभिनय की बात करे तो अतुल श्रीवास्तव गीता के पिता विद्याधर के किरदार में परफेक्ट हैं। कुंदन की माँ के रोल में अभिनेत्री अलका अमीन का अभिनय भी उल्लेखनीय हैं।

निर्देशक 
निर्देशक प्रदीप खैरवार ने अपनी डेब्यू फिल्म में एक परिपक्व फिल्म मेकर की तरह एक गंभीर कहानी को मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत करने में सफल रहे हैं। बाप बेटी के बीच के रिश्ते के कुछ इमोशनल सीन दिल को छू लेते हैं। फिल्म में कुंदन और गीता की लव स्टोरी हैं जिसका बैकड्रॉप महिला एजुकेशन और सशक्तिकरण हैं। बतौर निर्देशक प्रदीप एक प्यारी सी लव स्टोरी को अभिनव किरदार और प्रस्तुति के साथ दर्शकों के बीच एक बहुत ही जरूरी सामाजिक संदेश को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से बताने में सफल रहते हैं  । उन्होंने फ़िल्म में अभिनय , संगीत और प्रस्तुति सभी टैलेंट से अच्छा कार्य निकालने में सफल रहे हैं। 

संगीत
फिल्म का एक और मजबूत पक्ष इसका बेहतरीन संगीत है। फिल्म के पांचों गीत कहानी और सिचुएशन के अनुसार हैं और पिक्चर का जरुरी हिस्सा हैं। लोक गायिका रेखा भारद्वाज की आवाज में रंगरेजा  दिल को छू लेता है। "मैं जान  से गया" बेहद रोमांटिक और खूबसूरत गीत है। "चल चलिए दिल" भी एक प्यारा सा लव सॉन्ग है। "लिख दे कहानी" एक बहुत ही प्रेरणादायक गीत है। इसी गीत की कुछ लाइंस बहुत इंस्पायर करती हैं "ले ले तू शिक्षा की उड़ान, छू ले तू अपना आसमान।" 

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