1 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं नया साल, जानें ग्रेगोरियन और हिंदू कैलेंडर की रोचक कहानी

Edited By Rahul Singh,Updated: 31 Dec, 2024 03:24 PM

celebrate new year on 1st january importance of gregorian and hindu calendar

दुनिया में हर साल 1 जनवरी को ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष मनाया जाता है। लोग 31 दिसंबर को पुराने साल को अलविदा कहकर नए साल का स्वागत बड़े उत्साह से करते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि 1 जनवरी को ही नव वर्ष क्यों मनाया जाता है?

नेशनल डेस्क: दुनिया में हर साल 1 जनवरी को ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष मनाया जाता है। लोग 31 दिसंबर को पुराने साल को अलविदा कहकर नए साल का स्वागत बड़े उत्साह से करते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि 1 जनवरी को ही नव वर्ष क्यों मनाया जाता है? वहीं, हिंदू धर्म में नव वर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है, जिसे चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा जैसे पर्वों के माध्यम से मनाया जाता है। आइए, इन दोनों नववर्षों के इतिहास और परंपराओं को जानें।


ग्रेगोरियन कैलेंडर और 1 जनवरी का महत्व
आज दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचलित ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत साल 1582 में हुई थी। इससे पहले जूलियन कैलेंडर का उपयोग होता था, जिसे रोम के शासक जूलियस सीजर ने 45 ईसा पूर्व लागू किया था। हालांकि, इसमें खगोलीय त्रुटियों के कारण तिथियों का सही मेल नहीं बैठता था। इस समस्या को हल करने के लिए रोम के पोप ग्रेगोरी XIII ने 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर को पेश किया।
इस कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत 1 जनवरी से मानी गई। ग्रेगोरियन कैलेंडर में एक साल को 365.25 दिन का माना गया है और हर चौथे साल में एक अतिरिक्त दिन फरवरी महीने में जोड़ा जाता है, जिसे लीप वर्ष कहते हैं। भारत में ग्रेगोरियन कैलेंडर का उपयोग साल 1752 से शुरू हुआ और आजादी के बाद भी इसे सरकारी कार्यों के लिए जारी रखा गया। हालांकि भारत ने हिंदू विक्रम संवत को भी अपनी सांस्कृतिक पहचान के रूप में अपनाया।


हिंदू नव वर्ष कब मनाते है?
हिंदू नव वर्ष का आरंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। यह दिन चैत्र नवरात्रि और गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है।
साल 2025 में हिंदू नव वर्ष 30 मार्च से शुरू होगा, जो विक्रम संवत 2082 होगा। इस दिन रेवती नक्षत्र और इंद्र योग का संयोग होगा। खास बात यह है कि सूर्य और चंद्रमा दोनों मीन राशि में स्थित रहेंगे।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के पहले दिन देवी ने ब्रह्मा जी को सृष्टि रचने का दायित्व सौंपा था। देवी भागवत पुराण में इसे समस्त जगत के आरंभ का दिन माना गया है। इस दिन प्रभु श्रीराम और धर्मराज युधिष्ठिर के राज्याभिषेक का भी उल्लेख मिलता है।


दोनों नववर्ष का महत्व
ग्रेगोरियन नव वर्ष जहां आधुनिक समाज और वैश्विक कार्य प्रणाली से जुड़ा है, वहीं हिंदू नव वर्ष भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक है। दोनों ही नववर्ष हमें नए सिरे से शुरुआत करने और उत्साह के साथ जीवन को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देते हैं। इस प्रकार, चाहे 1 जनवरी का ग्रेगोरियन नव वर्ष हो या चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का हिंदू नव वर्ष, दोनों का अपना महत्व है और दोनों का उद्देश्य जीवन में नए अध्याय की शुरुआत करना है।

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