'पीछा करती परछाइयां' की कहानी दर्शाती है कि पितृसत्ता महिलाओं को ही नहीं बल्कि पुरुषों को भी हानि पहुंचाती है:" परम सिंह

Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 04 Sep, 2024 11:30 AM

chasing shadows

ज़ी थिएटर के टेलीप्ले में अभिनय करने वाले अभिनेता ने ये भी बताया कि के के रैना और इला अरुण ने उन्हें कहानी की बारीकियां समझायीं

मुंबई। लोकप्रिय टीवी स्टार परम सिंह भारतीय टेलीविजन पर कई यादगार किरदार निभाने के लिए जाने जाते हैं। अब वह ज़ी थिएटर के आगामी टेलीप्ले 'पीछा करती परछाइयां' में राजस्थान के एक सामंती परिवार के त्रासदीग्रस्त बेटे की भूमिका निभा रहे हैं. टेलीप्ले का प्रीमियर डिश टीवी और डी2एच रंगमंच और एयरटेल स्पॉटलाइट पर होगा।

'पीछा करती परछाइयां' नाटक को अभिनेत्री और संगीत कलाकार इला अरुण ने  हेनरिक इबसेन के क्लासिक नाटक 'घोस्ट्स' से  रूपांतरित किया है और मंच के लिए इसका निर्देशन दिग्गज अभिनेता और निर्देशक के के रैना द्वारा किया गया है. नाटक में  रैना एक पुरोहित के रूप में सामाजिक पितृसत्ता के चेहरे का प्रतिनिधित्व करते हैं। राजस्थान में स्थापित, टेलीप्ले में परम को युवराज के रूप में दिखाया गया है जो अपने दिवंगत पिता महाराजा कुंवर विराज भानु प्रताप सिंह की विनाशकारी विरासत से अनजान है। जब अतीत के साये वर्तमान को घेर लेते हैं  तो युवराज, अपनी  मां रानी यशोधरा (इला अरुण द्वारा अभिनीत) के अथक प्रयासों के बावजूद, एक बहुत बड़ी कीमत चुकाता है । 

टेलीप्ले में अंकित पितृसत्ता  के बारे में बात करते हुए, परम कहते हैं, "पितृसत्ता पुरुषों और महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, पुरुषों से अपेक्षा की जाती है कि वे पैसे कमाएं और परिवार की  रक्षा करें, लेकिन उन्हें अपनी भावनाओं या अपने मनोवैज्ञानिक मुद्दों के बारे में बोलने की भी अनुमति नहीं है। जो पुरुष बेरोजगार हैं उनके लिए उनकी स्थिति एक कलंक जैसी है  । पुरुष को कमाऊ होना ही पड़ता है. वो ये कभी नहीं कह सकते कि हम शादी करना चाहते हैं और सिर्फ एक गृहस्थी संभालना चाहते हैं।"

अपने किरदार की चर्चा करते हुए, वह आगे कहते हैं, "मैंने युवराज का चित्रण एक ऐसे युवक के रूप में किया है जो अनजाने में बिल्कुल अपने पिता जैसा बन जाता है। जब उसे उस  लड़की के बारे में एक रहस्य का पता चलता है जिसे वो प्रेम करता है , तो वह जीना नहीं चाहता है। उस पल में वह बस मरना चाहता है और उस दर्द से मुक्त होना चाहता है जिससे वह गुजर रहा है। वह दर्द कुछ ऐसा था जिसे मैंने रिहर्सल प्रक्रिया के दौरान महसूस किया।"

परम  जिन्होंने कॉलेज में थिएटर किया, 2011 में बैरी जॉन के साथ एक कोर्स पूरा किया और इप्टा  (इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन) के साथ नाटक किए, 10 साल से अधिक के अंतराल के बाद  मंच पर लौटने का श्रेय इला अरुण को देते हैं। वह बताते हैं, "2022 में इला जी ने युवराज का किरदार निभाने के लिए मुझसे संपर्क किया। मैं उनसे और के के सर से मिला और जब उन्होंने मुझे कहानी सुनाई, तो मैं तुरंत राज़ी हो गया । मैं उनके साथ काम करना चाहता था, उनसे सीखना चाहता था और टेलीविजन से हट  के कुछ और करना चाहता था।" उनके साथ काम करने से मुझे स्क्रिप्ट विश्लेषण की बारीकियां भी समझ में आईं और हमने लगभग दो वर्षों तक एक साथ इस नाटक का मंचन किया।''

अब नाटक के टेलीप्ले संस्करण के बारे में  वे कहते हैं, "हमारे फिल्मांकन निर्देशक सौरभ सर ने भी हमें अपने किरदार निखारने की काफी आजादी दी। उन्होंने चरित्र विश्लेषण में हस्तक्षेप नहीं किया क्योंकि वह पहले ही  के के सर द्वारा निर्धारित हो चुका था ।"

'पीछा करती परछाइयां' की स्टार कास्ट में लोकप्रिय अभिनेता प्रियंवदा कांत और अनुभवी अभिनेता विजय कश्यप भी शामिल हैं।

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