IIT दिल्ली में आचार्य प्रशांत संग संवाद: प्राचीन ज्ञान से समकालीन चुनौतियों का समाधान, दूरदर्शन पर विशेष कार्यक्रम की घोषणा

Updated: 02 Apr, 2025 04:33 PM

conversation with acharya prashant at iit delhi

IIT दिल्ली के पूर्व छात्रों और मौजूदा विद्यार्थियों के लिए हाल ही में एक यादगार शाम रही, जब वेदान्तिक ज्ञान के संवाहक आचार्य प्रशांत से रूबरू होने का अवसर मिला।

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। IIT दिल्ली के पूर्व छात्रों और मौजूदा विद्यार्थियों के लिए हाल ही में एक यादगार शाम रही, जब वेदान्तिक ज्ञान के संवाहक आचार्य प्रशांत से रूबरू होने का अवसर मिला। IIT दिल्ली एलुमनाई असोसीएशन (IITDAA) द्वारा आयोजित इस विशेष संवाद में, आचार्य प्रशांत ने आधुनिक दुनिया की जटिल समस्याओं को प्राचीन शास्त्रों के आलोक में देखने का नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।

 विज्ञान और तर्क के बीच आध्यात्मिकता 
IIT दिल्ली और IIM अहमदाबाद के पूर्व छात्र रहे आचार्य प्रशांत आज के दौर में आध्यात्मिकता को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। वे केवल वेदांत को पढ़ाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उसकी व्याख्या इस तरह करते हैं कि वह तर्क, विज्ञान और आधुनिक समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप हो। उनकी शैली पारंपरिक धर्मगुरुओं से अलग है—वे निर्भीक हैं, खुले संवाद में विश्वास रखते हैं और किसी भी विषय पर गहरी अंतर्दृष्टि के साथ बात करते हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत IIT दिल्ली एलुमनाई असोसीएशन के अध्यक्ष डॉ. मनीष जायसवाल के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद एक ऐसा संवाद शुरू हुआ, जिसने वहां मौजूद हर व्यक्ति को सोचने पर मजबूर कर दिया।

 संवाद के प्रमुख विषय 
बातचीत के दौरान कई ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाएँ, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नैतिकता, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियाँ और उपभोक्तावाद का बढ़ता प्रभाव। आचार्य प्रशांत ने इन विषयों को केवल सैद्धांतिक रूप में नहीं रखा, बल्कि प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में उनके व्यावहारिक समाधान भी सुझाए। उनके विचारों में स्पष्टता और गहराई थी, जिससे श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।

उनकी संवाद शैली की सबसे बड़ी विशेषता यही रही कि उन्होंने जटिल विषयों को सरल भाषा में प्रस्तुत किया। चाहे वह राजनीति और समाज की जटिलताएँ हों या व्यक्तिगत स्तर पर नैतिकता से जुड़े सवाल—हर मुद्दे पर उनकी दृष्टि समकालीन संदर्भ में पूरी तरह प्रासंगिक रही।

 दूरदर्शन पर होगा विशेष कार्यक्रम 
इस कार्यक्रम का सबसे बड़ा आकर्षण वह घोषणा रही, जिसने श्रोताओं को खासा उत्साहित कर दिया। भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक प्रसारक, दूरदर्शन (प्रसार भारती), पर जल्द ही आचार्य प्रशांत का एक विशेष दैनिक कार्यक्रम प्रसारित होगा। इस पहल से उनके विचार और शिक्षाएँ लाखों लोगों तक पहुँचेंगी और उन्हें जीवन के गहरे सवालों पर सोचने का एक नया दृष्टिकोण मिलेगा।

IIT दिल्ली एलुमनाई असोसीएशन (IITDAA) की यह पहल केवल एक संवाद तक सीमित नहीं थी; यह उस व्यापक सोच का हिस्सा थी, जो तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ गहरे आत्मिक व बौद्धिक विकास को भी समान रूप से महत्व देती है। यह आयोजन यह भी दर्शाता है कि आज का युवा केवल करियर और सफलता तक सीमित नहीं रहना चाहता—वह जीवन के गहरे अर्थों को भी खोज रहा है।

 क्या वाकई विज्ञान और आध्यात्मिकता एक साथ चल सकते हैं? 
इस सवाल का जवाब शायद इस शाम में ही छिपा था जब एक विज्ञान और तकनीक के गढ़ में बैठे छात्र और विद्वान वेदांत के ज्ञान से जुड़ने को उतावले दिखे। यह संवाद सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक दिशा थी जहाँ आधुनिक शिक्षा और प्राचीन ज्ञान एक साथ मिलकर भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

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