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‘सुपरबॉयज़ ऑफ़ मालेगांव’ के डायलॉग, जो सपनों और जज़्बे की कहानी करते हैं बयान!

Edited By Diksha Raghuwanshi,Updated: 22 Feb, 2025 01:54 PM

dialogues of superboys of malegaon

सपनों, जज़्बे और सिनेमा के जुनून को बयां करते हैं ‘सुपरबॉयज़ ऑफ़ मालेगांव’ के यह शानदार डायलॉग्स!

मुंबई। सुपरबॉयज़ ऑफ मालेगांव की जब से अनाउंसमेंट हुई है, तभी से इस फिल्म ने लोगों की दिलचस्पी बढ़ा रखी थी। अब जब इसका ट्रेलर आ चुका है, तो ये और भी ज्यादा एक्साइटमेंट बढ़ा रहा है। ये फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि सपनों, जज़्बे, प्यार और सिनेमा के जुनून से भरी एक शानदार जर्नी है। फिल्म का हर एलिमेंट अलग और खास लग रहा है, लेकिन इसके डायलॉग्स ने तो अलग ही धमाल मचा दिया है। एक-एक डायलॉग कहानी के पागलपन और जूनून को पूरी तरह जस्टिफाई करता है। ट्रेलर देखने के बाद अब फैंस इस फिल्म को बड़े पर्दे पर देखने के लिए और भी ज्यादा एक्साइटेड हो गए हैं।

तो आइए, देखते हैं ‘सुपरबॉयज़ ऑफ मालेगांव’ के कुछ दमदार डायलॉग्स, जो सपनों, सच्चाई, हिम्मत और प्यार की गहराई को बयां करते हैं।

बम्बई नहीं जा सकते, बम्बई को इधर लाना पड़ेगा। इधर ही पिक्चर बनाते है ना।
ये डायलॉग दिखाता है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती। चाहे हालात जैसे भी हों, अगर इरादा पक्का हो, तो किसी न किसी तरह वो पूरे किए जा सकते हैं।

इधर के लोगो के लिए, इधर के लोगो के साथ, मालेगांव के शोले।
ये लाइन मालेगांव की असली रूह को बयां करती है—जहां फिल्में सिर्फ देखी नहीं जातीं, बल्कि यहां के लोग उन्हें जीते भी हैं।

जाना तो सबको है, डरने का क्या है?  कुछ बिना किए चले जाएंगे इस दुनिया से। चांस मिलता था ना, तो कुछ बन सकता था।
ये डायलॉग उस पक्के इरादे को दिखाता है, जो कुछ अलग, कुछ बड़ा करने की चाहत में होता है। यह बताता है कि जब भी मौका मिले, उसे पूरी शिद्दत से पकड़ना चाहिए और ऐसा कुछ क्रिएट करना चाहिए, जो हमेशा के लिए यादगार बन जाए।

कुछ मुकम्मल बना सकता है यार हम लोग, जो हमारा अपना हो।
ये लाइन इंसानी काबिलियत की असीमित संभावनाओं को दिखाती है। यह बताती है कि अगर दिल से चाहो और पूरी मेहनत लगाओ, तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है।

राइटर बाप होता है।
ये डायलॉग दमदार तरीके से दिखाता है कि एक लेखक ही फिल्म की असली ताकत होता है। उसकी लिखी हुई कहानी ही फिल्म की आत्मा होती है, जो उसे खास बनाती है।

प्रोड्यूसर का टाइटल चाहिए।
एक अहम मोड़ पर कही गई ये बात, और वो भी एक औरत के ज़रिए—ये सिर्फ़ एक ख्वाब नहीं, बल्कि उसे पूरा करने की सच्ची लगन और मेहनत का सबूत है।

नासिर, तू अपनी पिक्चर बना ना।  समझ ना?
ये डायलॉग उस भरोसे को दिखाता है जो एक लवर अपने साथी पर रखती है। वो दिल से चाहती है कि वो अपने हुनर पर ध्यान दे और अपने ख्वाब को पूरा करे।

ये डायलॉग बस फिल्म में जान ही नहीं डालते, बल्कि हर उस शख्स से जुड़ते हैं जो अपने पैशन, स्ट्रगल और सिनेमा से बेइंतहा प्यार करता है।

अमेज़न MGM स्टूडियोज, एक्सेल एंटरटेनमेंट और टाइगर बेबी के बैनर तले बनी इस फिल्म को रितेश सिधवानी, फरहान अख्तर, ज़ोया अख्तर और रीमा कागती ने प्रोड्यूस किया है। वरुण ग्रोवर द्वारा लिखे गए, इस सिनेमा का जादू अब बड़े पर्दे पर बिखरने को तैयार है, जो 28 फरवरी को भारत, अमेरिका, यूके, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में रिलीज़ होगी।

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